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क्या है शिवराज का राज

भोपाल | एजेंसी: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दो स्थानों से चुनाव लड़ने का राज क्या है ? इसको लेकर राजनीतिक क्षेत्रों में कयास लगाये जा रहें हैं. शिवराज सिंह बुदनी तथा विदिशा से विधान सभा का चुनाव लड़ रहें हैं.भारतीय जनता पार्टी इसे रणनीति का हिस्सा बता रही है.

राज्य में संभवत: यह पहला ऐसा मौका है जब कोई मुख्यमंत्री या किसी प्रमुख दल का बड़ा नेता एक साथ दो विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहा हो. मुख्यमंत्री शिवराज ने जहां अपनी परंपरागत सीट बुदनी से नामांकन भरा है तो अपने पूर्व संसदीय क्षेत्र विदिशा के विधानसभा क्षेत्र से भी किस्मत आजमा रहे हैं. यह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र भी है.

वर्तमान में विदिशा से राज्य के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी विधायक हैं, जिन्हें अपने नौकर के यौन शोषण के आरोप में न केवल मंत्री पद गंवाना पड़ा था, बल्कि भाजपा ने पार्टी से निष्कासित भी किया था.

सामान्य तौर पर मान्यता है कि कोई नेता यदि अपने को असुरक्षित महसूस करता है तो वह एक साथ दो स्थानों से चुनाव लड़ता है. भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का कहना है कि चौहान को बुदनी के साथ विदिशा से चुनाव लड़ाना पार्टी की रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दो स्थानों से चुनाव लड़ने का भी हवाला दिया.

वहीं, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने शिवराज के दो स्थानों से चुनाव लड़ने को उनकी घबराहट करार दिया है. उनका कहना है कि शिवराज को अपने गृह नगर की सीट बुदनी पर जीत का भरोसा नहीं रहा, तभी तो वे विदिशा से भी चुनाव लड़ रहे हैं.

सरोज का कहना है कि जब कोई नेता एक स्थान से अपने को असुरक्षित महसूस करता है, तभी दूसरे स्थान का चयन करता है. ठीक यही बात शिवराज पर लागू होती है. उन्होंने कहा कि भाजपा का लोकलुभावन प्रचार का तरीका बेअसर हो गया है और पार्टी से लेकर मुख्यमंत्री तक को हार का डर सताने लगा है, लिहाजा वे दूसरे क्षेत्र में भी किस्मत आजमा रहे हैं.

सरोज ने कहा, “राज्य में भाजपा का यह हाल तब है जब उसका मुकाबला निष्क्रिय पड़ी पार्टी कांग्रेस से है, अगर किसी सक्रिय दल से होता तो न जाने क्या हालत होती.”

कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भी शिवराज के दो स्थानों से चुनाव लड़ने पर सवाल उठाए हैं. वे कहते हैं कि यह समझ से परे है कि अखिर शिवराज को दूसरे स्थान से भी नामांकन क्यों भरना पड़ा है.

दरअसल, भाजपा विदिशा से मुकेश टंडन को चुनाव लड़ाने की तैयारी में थी, जिसका राघवजी न केवल विरोध कर रहे थे, बल्कि अपनी बेटी को भी चुनाव लड़ाने का मन बना रहे थे. इस स्थिति में यहां भाजपा को नुकसान होना तय था, लिहाजा पार्टी ने संभावित डैमेज को कंट्रोल करने के लिए शिवराज को विदिशा से भी मैदान में उतारा है.

राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवराज भले ही पार्टी की रणनीति के तहत दो स्थानों से चुनाव लड़ रहे हों, मगर इसका आम जनता व कार्यकर्ताओं के बीच अच्छा संदेश नहीं गया है.

बहरहाल, भाजपा ने शिवराज को दो स्थानों से चुनाव लड़ाने का फैसला करके एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि सत्तारूढ़ दल का यह फैसला उसे कितना फायदा दिलाता है या उसके डर को उजागार करता है.

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