व्यापमं: पूर्व अधिकारी की रहस्यमयी मौत
भुवनेश्वर | समाचार डेस्क: मध्य प्रदेश का व्यापमं ‘बरमुडा त्रिकोण’ बनता जा रहा है जिसमें अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है. ताजा घटना मध्य प्रदेश के पूर्व आईएफएस अधिकारी विजय बहादुर की मौत का है. विजय बहादुर की मौत जिन परिस्थितियों में हुई है उससे लगता व्यापमं से जुड़े बाकी लोगों की जिंदगी भी सुरक्षित नहीं है. उल्लेखनीय है कि ‘बरमुडा त्रिकोण’ के उपर से गुजरने वाले जहाज गायब हो जाते हैं जिनकी कोई खोज-खबर नहीं मिला पाती है. मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल, व्यापमं की कई परीक्षाओं के पर्यवेक्षक रहे भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी विजय बहादुर की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. उनका शव ओडिशा के छत्तीसगढञ से सटे बेलपहाड़ में रेल पटरी पर पाया गया है. उनकी मौत को व्यापमं घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है. विजय अपनी पत्नी नीता सिंह के साथ पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस से ओडिशा के पुरी से भोपाल लौट रहे थे. बताया जा रहा है कि गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात लगभग 12 बजे वह चलती गाड़ी से गिर गए और उनकी मौत हो गई.
रेलवे पुलिस अधीक्षक, राउरकेला करम सेय कंवर ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि दुर्घटनावश चलती रेलगाड़ी से नीचे गिर गए और उनकी मौत हो गई. एसी बोगी में सफर करते समय विजय बहादुर चलती रेलगाड़ी से कैसे गिर गए, यह जांच का विषय है.
अधिकारियों का कहना है कि विजय बहादुर की मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चल पाएगा.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि ट्रेन जब झारसुगुडा जंक्शन से 70 किलोमीटर दूर रायगढ़ स्टेशन पहुंच गई, तब विजय की पत्नी नीता ने टीटी को बताया कि उनके पति काफी देर बाद भी बोगी में नहीं लौटे हैं.
व्यापम घोटाले की जांच जुलाई में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपे जाने के बाद इस मामले में विजय की मौत पहली घटना है.
व्यापमं का नाम अब मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड कर दिया गया है. घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अब तक 80 प्राथमिकी दर्ज कर चुका है और 10 आरोपियों से प्रारंभिक पूछताछ शुरू कर दी है.
इस घोटाले से जुड़े लोगों की मौत का आंकड़ा 48 तक पहुंच चुका है.
विजय बहादुर ने व्यापमं की 2010 से 2013 के बीच हुई करीब 12 परीक्षाओं में प्रश्नपत्र चयन करने से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन तक की निगरानी की जिम्मेदारी संभाली थी.
विजय बहादुर की देखरेख में हुई शिक्षक वर्ग-3 की पात्रता परीक्षा-2011 में बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आई थी और इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई बड़े अधिकारी जेल में हैं.
सूचनाधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने सीबीआई से विजय बहादुर की मौत का मामला तुरंत जांच के दायरे में लेने और व्यापमं से जुड़े अन्य पर्यवेक्षकों को सुरक्षा प्रदान करने और उनसे पूछताछ करने की मांग की है.
मध्यप्रदेश का चर्चित ‘व्यापमं’ मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों तथा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए परीक्षा से लेकर विभिन्न विभागों की तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती परीक्षा आयोजित करता है. जुलाई 2013 में व्यापमं घोटाले के खुलासा होने पर यह मामला एसटीएफ को सौंपा गया और फिर उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी.
एसटीएफ जांच की कछुआ रफ्तार और इससे जुड़े लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ते चले जाने से देशभर में पनपे आक्रोश को भांपते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जुलाई, 2015 को व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए.
व्यापमं घोटाले के सिलसिले में एसटीएफ ने कुल 55 मामले दर्ज किए थे. एसटीएफ की जांच के दौरान 21 सौ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, जबकि 491 आरोपी अब भी फरार हैं. इस घोटाले और जांच से जुड़े 48 लोगों की मौत देश-विदेश में चर्चा का विषय बनी और विपक्ष दल कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ‘शवराज’ कहने लगी.
एसटीएफ इस मामले के 12 सौ आरोपियों के चालान कर चुकी है. रहस्यमयी व्यापमं घोटाले की जांच अब सीबीआई कर रही है.