भगोड़े माल्या का निष्कासन तय
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: भगोड़े विजय माल्या का राज्यसभा से निष्कासन तय माना जा रहा है. राज्यसभा के सभापति हामित अंसारी ने विजय माल्या का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है. राज्यसभा की आचार समिति ने माल्या के द्वारा भेजा गया इस्तीफा खारिज कर दिया है. जाहिर है कि बैंकों का कर्ज न चुकाकर विदेश भाग जाने वाले विजय माल्या के नाम राज्यसभा से निष्काषित सकस्य के रूप में दर्ज हो सकता है. राज्यसभा की आचार समिति ने शराब कारोबारी और सदन के निर्दलीय सदस्य विजय माल्या को सदन की सदस्यता समाप्त करने का सुझाव दिया है. समिति के सुझाव देने से एक दिन पहले ही माल्या ने सदन के सभापति मुहम्मद हामिद अंसारी को अपना त्यागपत्र भेज दिया था. सूत्रों के मुताबिक, समिति चाहती है कि माल्या का त्यागपत्र खारिज कर दिया जाए और औपचारिक प्रक्रिया से उन्हें बर्खास्त किया जाए.
इस बारे में आखिरी फैसला सभापति को करना है.
माल्या ने आचार समिति की बैठक से एक दिन पहले ही अंसारी को अपना त्यागपत्र भेजा था.
बाद में माल्या ने ट्वीट के जरिए कहा, “पूरी विनम्रता से न कि अवज्ञा से जैसा कि वे लिख रहे हैं, मैं भारतीय मीडिया से आग्रह करता हूं कि मुझे डिफाउल्टर घोषित करने से पहले तथ्यों की जांच करें और उनका सत्यापन करें.”
मंगलवार को एक अन्य ट्वीट में लिखा गया, “7,686 विलफुल डिफाउल्टर पर सरकारी बैंकों का 66,190 करोड़ रुपये बकाया है. माल्या पर आरोप लगाना आसान है.”
माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया होने का आरोप है.
वह कर्नाटक से राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं. उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है.
सदन में यह उनका दूसरा कार्यकाल है.
संसदीय सूत्रों के मुताबिक, सदन में सदस्य के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान माल्या कहते रहे है कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है और उनकी कोई देनदारी नहीं है.
जांच के लिए उपस्थित नहीं होने पर केंद्र सरकार ने माल्या का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है. इससे माल्या को ब्रिटेन से लाने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है. माना जा रहा है कि वह अभी ब्रिटेन में हैं.
माल्या के देश से भागने के बाद उनसे संबंधित मामले को राज्यसभा की आचार समिति के हवाले किया गया था.
उल्लेखनीय है कि विजय माल्या राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं. इससे पहले भी आपातकाल के दौरान मनोनीत सदस्य सुब्रमण्यन स्वामी को निष्कासित किया जा चुका है. राज्यसभा की आचरण समिति ने स्वामी का आचरण सदन के सदस्य के णर्यादा के अनुकूल न पाये जाने के कारण उन्हें निष्कासित किया था.
जनता पार्टी के शासनकाल में इंदिरा गांधी को भी निष्कासित किया जा चुका है जिसे लोकसभा ने बाद में निरस्त कर दिया था. सितंबर 1951 में लोकसभा से एच जी मुद्गल को संसद में पैसे लेकर पक्ष लेने के कारण निष्कासित किया गया था.
दिसंबर 2005 में कैश फॉर वोट मामलें में 11 सदस्यों को निष्कासित किया गया था. अब इस सूची में विजय माल्या का नाम भी जुड़ने जा रहा है. यदि राज्यसभा से उन्हें निष्कासित किया जाता है तो बैं का कर्ज न चुकार विदेश भाग जाने भगोड़े के रूप में उनका निष्कासन पहला होगा.