माल्या ने छत्तीसगढ़ को भी लगाया चूना
रायपुर | संवाददाता: विजय माल्या ने छत्तीसगढ़ को भी करोड़ों का चूना लगाया है. बिना पर्यावरण अनुमति के दुर्ग के बोरई मेंअपना उपक्रम लगाने वाले विजय माल्या पर केंद्र और राज्य सरकार की मेहरबानी रही और महज नोटिस दे कर सरकार भूल गई. लगभग 20 एकड़ में फैले माल्या को राजनांदगांव और रायगढ़ में भी उद्योग लगाने के लिये सरकार ने आरंभिक कार्रवाई की थी. लेकिन किंगफिशर के कैलेंडर और अपनी रात की पार्टियों के लिये मशहूर माल्या डिफाल्टर घोषित हो गये और मामला खटाई में पड़ गया.
27 मार्च 2015 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह मामला सामने आया था कि वन तथा पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के बिना राज्य में एक दर्जन औद्योगिक घरानों ने अपना उपक्रम शुरु कर दिया. इनमें जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड समेत 12 कंपनियां थी. इनमें ही विजय माल्या की कंपनी यूबी इंजीनियरिंग फ्रेब्रीकेशन यूनिट भी थी. लेकिन सरकार ने महज नोटिस जारी करने का हवाला दे कर मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया. कुछ मामलों में वाद दायर करने का भी हवाला दिया गया लेकिन वाद-प्रतिवाद अदालती रफ्तार से आज तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके.
जिन कंपनियों ने सरकारी पर्यावरण कानून को ठेंगा दिखाया था, उनमें राधा माधव इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, राजाराम मेज प्रोडक्ट, प्रेक्सेयर इँडिया प्राइवेट लिमिटेड, बीईसी फूड्स, सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स लिमिटेड, रायगढ़ इस्पात एंड पॉवर लिमिटेड, कोरबा वेस्ट पॉवर कंपनी लिमिटेड, बीसा पॉवर लिमिटेड, जीएमआऱ छत्तीसगढ़ एनर्जी लिमिटेड तथा गोदावरी पॉवर एंड स्टील लिमिटेड भी शामिल थी.
यूबी इंजीनियरिंग के लिये विजय माल्या ने छत्तीसगढ़ की फायनेंस कंपनियों से 60 से 70 करोड़ का ऋण लिया था और दुर्ग के बोरई में फैब्रिकेशन प्लांट भी लगाया लेकिन 2010 में शुरु हुआ यह प्लांट 2014 में बंद हो गया. कंपनी के 325 कर्मचारी और मज़दूर बेकार हो गये. मज़दूरों और कर्मचारियों के लाखों रुपये की मज़दूरी आज तक बकाया है.
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