वन धन विकास के प्रस्ताव नहीं भेज पाया छत्तीसगढ़
रायपुर | संवाददाता : पूरे देश में सबसे अधिक वन धन विकास केंद्र की स्थापना का लक्ष्य छत्तीसगढ़ में था. लेकिन इस महीने तक छत्तीसगढ़ ने केंद्र को केवल एक चौंथाई प्रस्ताव ही भेजे हैं.
इस योजना के अनुसार ट्राइफेड जनजातीय क्षेत्रों में लघु वनोपज के नेतृत्व वाले वन धन विकास केंद्रों की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगा. ये केंद्र 10 स्वसहायता के समूह होंगे, जिनमें से प्रत्येक के 30 जनजातीय लघु वनोपज जमाकर्ता शामिल होंगे. वे कौशल उन्नयन , क्षमता निर्माण प्रशिक्षण ,प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन सुविधा की स्थापना प्रदान करेंगे.
जनजातीय कार्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश के 27 राज्यों में 2019-20 में 3000 वन धन विकास केंद्र VDVK की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था. इसमें अकेले छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 521 केंद्र स्थापित किये जाने थे. इसके बाद मध्यप्रदेश में 361 और ओडिशा में 342 केंद्र बनाये जाने थे.
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ नें केंद्र सरकार को 521 के बजाये महज 139 केंद्र बनाये जाने का प्रस्ताव दिया है. इस महीने तक इन सभी केंद्रों को स्वीकृत भी किया जा चुका है. साथ ही इन केंद्रों के निर्माण के लिये केंद्र सरकार ने 2085 लाख रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है.
कांग्रेस शासित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में तो इसका और भी बुरा हाल है. यहां 361 के लक्ष्य की तुलना में केवल 20 केंद्रों का प्रस्ताव ही राज्य सरकार भेज पाई. हालांकि ओड़िशा में 342 की तुलना में 156 केंद्रों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया, जिसमें सभी प्रस्तावों को स्वीकृत कर दिया गया.
केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के अनुसार मणिपुर जैसे राज्य इस मामले में कहीं आगे हैं. 2019-20 में मणिपुर में 43 वन धन विकास केंद्र की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन राज्य सरकार ने अपनी तरफ से 77 वन धन विकास केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा, जिसे मंजूरी भी मिल गई.
इसी तरह तमिलनाडु में 5 केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य था, जिसके मुकाबले 7 केंद्रों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया.