पास-पड़ोस

मंद है उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग

रुद्रप्रयाग | एजेंसी: उत्तराखंड में आई भयावह आपदा का एक साल बीत चुका है, लेकिन यहां पर्यटन उद्योग अभी भी अपनी पुरानी रफ्तार नहीं पकड़ पाया है. यह राज्य पर्यटन पर बहुत ज्यादा आश्रित है. यहां आपदा के प्रभाव अभी भी देखे जा सकते हैं.

स्थानीय होटल व्यवसायी होटल कर्मियों की छंटनी करने के बावजूद गहन चिंता में डूबे हुए हैं.

रुद्रप्रयाग से दो किलोमीटर दूर मोनाल रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर सी.एस. कोटवाल ने बताया, “इस बार काम बहुत मंदा है. इससे पहले हमारे होटल 20 जून तक भर जाया करते थे. इस बार, यहां तक कि मई में भी हम कोई कारोबार नहीं कर पाए.”

इस बार अधिकांश पर्यटक रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी या गंगोत्री में ठहरने के बजाय केदारनाथ जा रहे हैं. इन जगहों पर पिछले साल बादल फटने से आई भयावह बाढ़ के दौरान सबसे ज्यादा तबाही मची थी. कोटवाल को लगता है कि पिछले साल के तबाही के मंजरों के खौफ की वजह से ही इस साल पर्यटकों की संख्या कम है.

कोटवाल ने कहा, “हम सच में बहुत चिंतित हैं, क्योंकि हमारे लिए यही समय कमाने का होता है, लेकिन इस बार कारोबार बहुत मंदा है.”

पिछले साल 16 जून को आए जलप्रलय में हजारों तीर्थयात्री बह गए थे, जिनमें से कई के तो अभी तक शव भी नहीं मिले हैं.

यहां स्थित भट्ट रिसॉर्ट के मनीष भट्ट ने बताया, “जितना कारोबार होता था, इस बार उसका पांच प्रतिशत भी नहीं हुआ है. सरकार तीर्थयात्रियों तक सुरक्षा का संदेश पहुंचने में साफ तौर पर असफल रही है.”

एक व्यावसायिक अध्ययन के अनुसार, पिछले साल के 23,000 करोड़ रुपये के आंकड़े में वर्ष 2014-2017 में उत्तराखंड पर्यटन में 70 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.

होटल बलबीर पैलेस साछेन के मैनेजर हरीश कोठारी ने बताया, “पिछले साल तक हमारे होटल में पर्यटकों की एक बहुत बड़ी संख्या गुजरात और मुंबई से आए एनआरआई की हुआ करती थी, लेकिन इस बार उनमें से कोई भी नहीं आया.”

error: Content is protected !!