अमरीका की बांग्लादेश पर ताबेदारी
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीका ने बांग्लादेश में फिर से चुनाव की मांग की है उसे हाल में संपन्न चुनाव की विश्वसनीयता पर संदेह है. अमरीका का कहना है कि आधे से भी ज्यादा सीटें निर्विरोध जीती गई हैं तथा शेष पर रस्मी विरोध हुआ है.
गौरतलब है कि रविवार को संपन्न हुए चुनाव के दौरान हिंसा हुई और मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने चुनाव का बहिष्कार कर रखा था. चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने 300 में से 232 सीटें जीत ली हैं.
अमरीका के इस रुख पर ताज्जुब करने वाली कोई बात नहीं है. अमरीका शुरु से ही पाकिस्तान के समान शेख हसीना का चरम विरोधी रहा है. ज्ञात्वय रहे कि बांग्लादेश शेख मुजिबर्ररहमान के नेतृत्व में चले आंदोलन की वजह से पाकिस्तान से 1971 में अलग राष्ट्र बना था.
उस आंदोलन का भारत और तत्कालीन सोवियत रूस ने खुलकर समर्थन किया था. बांग्लादेश की आजादी के बाद मुजिबर्ररहमान वहां के राष्ट्रपति बने थे. उनकी हत्या के बाद उनके राजनीतिक विरासत को उनकी बड़ी बेटी शेख हसीना ने संभाल लिया है.
शेख हसीना बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री है तथा अवामी लीग की अध्यक्षा भी हैं. उनके खिलाफ खालिदा जिया के नेतृत्व में आंदोंलन चलाया जा रहा था जिसे अमरीका का समर्थन प्राप्त है.
खालिदा जिया के के नेतृत्व में उनकी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की मांग थी कि पहले सरकार को भंग कर दिया जावे उसके बाद बांग्लादेश में चुनाव हों. इसके लिये 18 पार्टियों के गठबंधन ने 29 दिसंबर को राजधानी ढ़ाका का घेराव करने का असफल प्रयास किया था. बंग्लादेश में अवामी लीग के नेतृत्व में 14 पार्टियों का गठबंधन है जो शेख हसीना का समर्थन करता है.
गौरतलब है कि बंग्लादेश के अमरीकी राजदूत डान डब्लू मजीना खुलेआम विपक्षी नेता खालिदा जिया के घर पर आते जाते रहते हैं. अमरीका ने अपने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी प्रेम को कभी छुपाया भी नहीं है. जब यह तय हो गया कि शेख हसीना हर हाल में चुनाव करवाने जा रही है तब अमरीकी विदेश सचिव जॉन कैरी ने स्वयं शेख हसीना को फोन करके चुनाव टालने का आग्रह किया था.
यहां पर लाख टके का सवाल यह है कि अमरीका को बंग्लादेश के आंतरिक मसलों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार किसने दे दिया है. खालिदा जिया को बंग्लादेश की प्रधानमंत्री बनाने के पीछे अमरीका का कौन सा हित पूरा होने वाला है.
अवामी लीग ने आलोचनाओं और चुनाव को ‘बकवास’ कहे जाने और इसकी वैधानिकता पर सवाल उठाए जाने को खारिज किया है. शेख हसीना ने सोमवार को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि वे विपक्ष के हिंसा छोड़ने तक कोई बातचीत नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, “आज लोकतंत्र निर्दोष लोगों के खून से रक्त रंजित है. ये निर्दोष लोग हिंसात्मक राजनीतिक कार्यक्रम का शिकार बने हैं और यह राष्ट्रकी चेतना पर प्रहार है.”
ऐसे हालात में अमरीका का बांग्लादेश के हालिया चुनाव पर सवाल उठाना स्वयं अमरीका पर सवाल खड़े कर देता है. आखिरकार अमरीका को बंग्लादेश जैसे देश में अपनी ताबेदारी स्थापित करने की कोशिश करने की क्या जरूरत है ?