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मंदी में भारतीयों का बेहतर प्रदर्शन

वाशिंगटन | एजेंसी: महामंदी से अमरीकियों की तरह यहां रहने वाले एशियाई-अमरीकी और प्रशांत द्वीपीय सभी बुरी तरह प्रभावित हुए, लेकिन उनका प्रदर्शन अन्य समूहों के मुकाबले बेहतर रहा. इन समूहों में भारतीय-अमरीकी भी शामिल थे. यह बात एक नई रिपोर्ट में कही गई है.

अमरीका के श्रम मंत्रालय द्वारा जारी अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक मंदी के दौरान एशियाई-अमरीकियों के बीच बेरोजगारी दर 2007 के 3.2 फीसदी से दोगुना से अधिक होकर 2010 में 7.5 फीसदी हो गई थी.

‘द इकनॉमिक स्टेट्स ऑफ एशियन अमरीकंस एंड पैसिफिक आईलैंडर्स इन द वेक ऑफ द ग्रेट रिसेसन’ शीर्षक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, मंदी की परिस्थितियों से लड़ने में एएपीआई कामगारों का प्रदर्शन बेहतर रहा.

2013 में एएपीआई समुदाय में श्रम बल भागीदारी सर्वाधिक 64.9 फीसदी और बेरोजगारी दर सबसे कम 5.6 फीसदी थी.

एएपीआई समूह के अंदर जापानी समुदाय की बेरोजगारी सबसे कम 3.3 फीसदी रही. उसके बाद सबसे कम बेरोजगारी भारतीयों और चीनी समुदायों में 4.4 फीसदी रही और उसके बाद वियतनामी समुदाय में यह पांच फीसदी रही.

एएपीआई कामगारों की औसत साप्ताहिक आय भी अन्य समूहों के मुकाबले इस दौरान सबसे अधिक 987 डॉलर रही.

इस दौरान भारतीय समुदाय की बेरोजगारी दर श्वेतों से कम रही.

रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि यदि उम्र, लिंग और शिक्षा को निश्चित कर देखा जाए, तो भारतीय समुदाय की बेरोजगारी दर श्वेतों से अधिक रही.

एशियाई अमरीकियों में भारतीय समुदाय की औसत बेरोजगारी दर लगभग सबसे कम 16 सप्ताह रही और कोरियाई समुदाय के लिए यह 15 सप्ताह रही. वियतनामी कामगारों के लिए यह सबसे अधिक 27 सप्ताह रही.

भारतीय, चीनी और जापानी समुदायों की औसत साप्ताहिक आय अन्य एशियाई समुदाय से अधिक रही.

भारतीय, जापानी और चीनी समुदाय का औसत वेतन भी श्वेतों से क्रमश: 32 फीसदी, 24 फीसदी और 13 फीसदी अधिक रहा.

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