अमरीकी राष्ट्रपति देखेंगे बस्तर दशहरा
रायपुर | संवाददाता: गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा नई दिल्ली के राजपथ पर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक बस्तर दशहरा को देखेंगे. छत्तीसगढ़ राज्य की बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा की विषय वस्तु पर आधारित झांकी गणतंत्र दिवस परेड के लिए अंतिम रूप से चयनित कर ली गयी है.
करीब तीन माह की दुरूह चयन प्रक्रिया से गुजरते हुए छत्तीसगढ़ की झांकी को रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने हरी झंडी दिखायी. देश के 28 राज्यों में से छत्तीसगढ़ सहित केवल 15 राज्यों को गणतंत्र दिवस पर अपनी झांकी दिखाने का अवसर मिलेगा. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इससे बस्तर के दशहरा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी. उन्होंने जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर का बस्तर दशहरा देश में और संभवतः विश्व में सबसे लंबे समय 76 दिन तक मनाया जाने वाला ऐतिहासिक पर्व है. यह लगभग 532 वर्ष पुराना पर्व है. रावण वध की परिपाटी से परे यह रथ परिचालन की विशिष्ट परम्परा से जुड़ा है. श्रावण मास की अमावस्या से प्रारंभ होकर अश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की तेरस तक यह पर्व चलता रहता है. इस दौरान काछिन गादी, जोगी बिठाई, रथ परिक्रमा, निशा जात्रा, जोगी उठाई, मावली परघाव, भीतर रैनी, बाहरी रैनी और मुरिया दरबार जैसी परम्पराओं का उत्साहपूर्ण आयोजन महोत्सव का प्रमुख आकर्षण होता है.
छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन ने बताया कि बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर आधारित इस झांकी की विषय वस्तु का चयन इस बात को ध्यान में रखकर किया गया था कि बस्तर की इस अनूठी और समृद्ध संस्कृति के बारे में देश-विदेश के लोगो को जानकारी मिले. इससे जहां छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति के बारे में लोग जानेंगे वही दूसरी और इससे राज्य के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
झांकी के साथ बस्तर के 30 से अधिक लोक नर्तक भी होंगे जो अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य की प्रस्तुति भी करेंगे.
छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन ने बताया कि राज्य गठन के बाद से छत्तीसगढ़ की गणतंत्र दिवस की झांकी को तीन बार पुरस्कार पाने का सम्मान भी मिला है. वर्ष 2006 में छत्तीसगढ़ की परम्परागत शिल्प पर आधारित झाकी को प्रथम पुरस्कार, वर्ष 2010 में कोटमसर गुफा पर आधारित झांकी तथा वर्ष 2013 में सिरपुर पर आधारित झांकी को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.