मोदी को सुनने बेकरार हैं अमरीकी सांसद
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: कभी अमरीकी वीजा के लिये जिस मोदी को इंकार किया गया था, अब वही मोदी अमरीकी कांग्रेस को संबोधित कर सकते हैं. सबसे दिलचस्पी की बात यह है कि इसके लिये अमरीका के प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की समिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष एड रोएस ने सदन के अध्यक्ष जॉन बोएनर को पत्र लिखा है. उन्होंने सुझाव दिया है कि मोदी को सितंबर में उनकी अमरीका यात्रा के दौरान उन्हें प्रतिनिधि सभा तथा सीनेट के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करने का निमंत्रण देना चाहिये.
भारत के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के करीब जाने में अमरीका ने भले देरी की हो, लेकिन उनकी जीत के बाद अमरीका ने बिना देरी करते हुए उन्हें बधाई दी और उन्हें वाशिंगटन आने का न्योता दिया. मोदी ने निमंत्रण स्वीकार लिया, हालांकि उनके अमरीका दौरे की अभी तारीख तय नहीं हुई है.
गौरतलब है कि लंबे समय तक वीजा प्रतिबंध झेलने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सितंबर महीने में अमरीकी दौरे पर कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का असाधारण सम्मान मिल सकता है.
सदन के अध्यक्ष जॉन बोएनर को लिखे पत्र के मुताबिक, “जैसा कि आप जानते हैं, भारत अमरीका का महत्वपूर्ण साझीदार है. हर स्तर पर चाहे राजनीतिक, आर्थिक या सुरक्षा संबंध हो अमेरिका का दक्षिण एशिया में इतना महत्वपूर्ण साझीदार कोई नहीं है.” इस पत्र पर नार्थ कैरोलीना के रिपब्लिकन प्रतिनिधि जार्ज होल्डिंग ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
पत्र के अनुसार, “यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अमरीका-भारत संबंध 21 सदी की निर्धारक साझीदारी होगी. भारत के हालिया चुनाव में 50 करोड़ से अधिक लोगों ने मतदान किया है, यह विश्व की सबसे बड़ा लोकतांत्रिक घटना और भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण था.”
पत्र में कहा गया है कि अमरीका को दोनों देशों के महत्वपूर्ण रिश्ते को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के साथ और घनिष्ठता से काम करना होगा. हालांकि, अध्यक्ष के कार्यालय से इस पत्र का कोई जवाब नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि मोदी को संयुक्त सत्र संबोधित करने का मौका मिल सकता है.
बुश प्रशासन ने 2002 गुजरात दंगे के कथित आरोप को देखते हुए 2005 में मोदी के पर्यटन व काम के सिलसिले में अमरीका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मोदी के पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह ने 2005 में अमरीका दौरे पर कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था.
मोदी को अमरीकी कांग्रेस को संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिये वुलावा दिये जाने की मांग से यह स्पष्ट है कि अमरीकी जनता तथा विशेषकर वहां के उद्योग जगत के लोग भारत के साथ गर्म रिश्तों की आशा रखते हैं. नरेन्द्र मोदी का अमरीका जाना तो तय है परन्तु यदि उन्हें अमरीकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का मौका दिया जाता है तो इसे मोदी की राजनयिक जीत के तौर पर देखा जायेगा.