छत्तीसगढ़

बीजापुर में मलेरिया से दो छात्राओं की मौत

बीजापुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ के बीजापुर में दो दिनों के भीतर मलेरिया से दो छात्राओं की मौत की खबर से प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है. स्वास्थ्य विभाग ने अब स्कूल, छात्रावास एवं आश्रमों में शिविर लागाकर जांच एवं उपचार शुरू की है.

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में डायरिया और मलेरिया के मामले में बेहतर उपचार के निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने मलेरिया, डायरिया व जलजनित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाने कहा है.साथ ही स्वास्थ्य केन्द्रों में आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं का पर्याप्त भंडारण के निर्देश दिए हैं.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भी सोमवार को ज़िले के दौर पर हैं. वे स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अधिकारियों की बैठक भी करने वाले हैं.

उन्होंने दावा किया कि जल्द ही बस्तर को मलेरिया से मुक्त करेंगे.

इधर कांग्रेस पार्टी ने नौ सदस्यों की एक जांच टीम बनाई है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ज़िले में स्वास्थ्य सुविधाएं ध्वस्त हो गई हैं.

गौरतलब है कि जिले में मलेरिया से 200 से अधिक विद्यार्थी पीड़ित है. उनका अलग-अलग स्वास्थ्य केन्द्रों में उपचार चल रहा है.

शनिवार को कन्या आवासीय आश्रम तारलागुड़ा की कक्षा दूसरी की छात्रा दीक्षिता की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. चंदूर गांव की रहने वाली छात्रा मलेरिया से पीड़ित थी.

इस घटना के एक दिन बाद रविवार को संगमपल्ली स्थित पोटाकेबिन की छात्रा वैदिका जव्वा को बीजापुर जिला अस्पताल में बेहोशी की हालत में भर्ती कराया गया था. छात्रा की स्थिति काफी गंभीर थी.

इसकी जानकारी लगते ही बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय, जिला पंचायत सीईओ और एसडीएम छात्रा से मिलने अस्पताल पहुंचे थे.कलेक्टर ने डॉक्टरों को बेहतर उपचार के निर्देश दिए थे.

छात्रा की स्थिति में सुधार नहीं होता देख डॉक्टर उसे जगदलपुर रेफर करने की तैयारी कर रहे थे, उसी दौरान छात्रा ने दम तोड़ दिया.

चिकित्सकों ने आशंका जताई है कि दोनों पीड़ित छात्राएं पीएफ फेलिसिफेरम यानी सेरिब्रल मलेरिया से पीड़ित थीं.

बताया गया कि संगमपल्ली पोटाकेबिन में तीन और बच्चे मलेरिया से पीड़ित पाए गए हैं. उनका भी उपचार अस्पताल में चल रहा है.

घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पोटाकेबिन में शिविर लगाकर जांच शुरू कर दी है. 78 बच्चों का मलेरिया टेस्ट किया गया, जिसमें एक बच्ची मलेरिया पॉजिटिव पाई गई. उसे भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पोटाकेबिन में मलेरिया दवाई का भी छिड़काव भी कराया जा रहा है.

इधर गंगालूर पोटाकेबिन सहित बीजापुर ब्लॉक के आश्रमों में 187 बच्चे मलेरिया पॉजिटिव मिले हैं. इनमें से 20 बच्चों को गंगालूर में भर्ती कराया गया है.जहां सभी का इलाज जारी है.

अधिकांश आश्रम शालाओं में न तो ज़रुरी जांच की सुविधा उपलब्ध है और ना ही मच्छररोधी छिड़काव के लिए दवाएं उपलब्ध हैं.

बस्तर में मलेरिया के मामले घटे

बस्तर कभी मलेरिया का घर हुआ करता था. हर साल सैकड़ों की संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आती थी.

लेकिन यह बड़ा सच है कि पिछले कुछ सालों में चलाए गए सरकारी अभियान के कारण मलेरिया के मामलों में भारी कमी आई है.

राज्य सरकार का दावा है कि बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है.

मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है.

इसी तरह बस्तर में यह दर 16.49 फीसदी से घटकर 7.78 फीसदी रह गई है.

मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान, पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया धनात्मक दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.51 फीसदी हो चुकी है.

इस अभियान का दसवां चरण भी 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ है. इस अभियान के तहत राज्य में 22 जिलों में 16.97 लाख कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण भी किया गया है.

स्वास्थ्य विभाग ने 2024 की पहली छमाही में मलेरिया के मामलों की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बस्तर जिले में 1660 केस, बीजापुर में 4441, दंतेवाड़ा में 1640, कांकेर में 259, कोंडागांव जिले में 701, नारायणपुर जिले में 1509 और सुकमा में 1144 केस दर्ज किए गए हैं.

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