ट्यूलिप दिला सकते हैं रोजगार
श्रीनगर | एजेंसी: ऐतिहासिक कश्मीर घाटी का नाम बागवानी से जुड़ा है. कश्मीर में हमेशा पुष्प उद्योग की अच्छी संभावनाएं रही हैं. मुगलों के समय में भी कश्मीर में भरपूर बागवानी होती थी और मुगल बादशाहों को खूबसूरत बागों के लिए जाना जाता है. फूलों के विभिन्न फार्मो और बगीचों को विकसित कर यहां रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं.
फूल, प्रकृति की अनूठी कृति है, जो लोगों को न केवल खुशबू और नजारे के लिए आकर्षित करते हैं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उनके साथ लगाव हो जाता है. आजकल फूलों का बहुत व्यावसायिक महत्व है और दुनिया भर में इनकी मांग है.
कश्मीर घाटी में मौसम की स्थिति और जमीन का उपजाऊपन फूलों की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल है. इस कारण बागवानी विभाग श्रीनगर में एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप उद्यान बना सका है.
विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारे विकसित इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप उद्यान में ट्यूलिप की 60 से अधिक किस्में हैं, जिनका हॉलैंड से आयात किया गया है. पहले इस उद्यान को सिराज बाग से नाम से जाना जाता था. यह ट्यूलिप उद्यान 2008 में खोला गया. ट्यूलिप उद्यान स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य घाटी में पर्यटकों के मौसम को जल्दी शुरू करना था.
यह उद्यान 20 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. इस वर्ष इसका और विस्तार होने की उम्मीद है, क्योंकि जबरवान पहाड़ी का और इलाका ट्यूलिप उद्यान के विस्तार के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, उन स्थानीय युवकों को भी रोजगार मिलेगा, जिन्होंने कृषि और बागबानी से संबद्ध क्षेत्रों में डिग्रियां प्राप्त की हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि भूमि की उर्वरकता फूलों की खेती के लिए सर्वोत्तम है, लेकिन फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों द्वारा गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है. वहां आद्र्र और दलदली जमीन के कई हिस्से हैं, जिन्हें फूलों की खेती के लिए विकास किया जा सकता है.
विशेषज्ञों का यह भी विचार है कि वहां के दलदली इलाके जैसे अंचर झील के आस-पास के बड़े दलदली इलाके का उपयोग करने की काफी गुंजाइश है और वहां मौसमी फूलों की कई किस्मों की खेती की जा सकती है.
इस काम को वैज्ञानिक तरीके से करने की आवश्यकता है और जमीन की तैयारी, बुआई और फसल की कटाई का प्रबंध, फूलों की खेती को एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए. इस लिए इसे व्यावसायिक स्तर पर करने की आवश्यकता है. फूलों के विभिन्न फार्मो और बगीचों को विकसित करके लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं.
फूलों की खेती को बढ़ावा देने और उसके विकास के लिए उचित बजट प्रावधान किए जाने चाहिए और फूलों के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए एक ही स्थान पर आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
कश्मीर के पुष्प विभाग को आम तौर पर अप्रैल महीने के दौरान होनी वाली वर्षा से ट्यूलिप फूलों को बचाने के भी उपाय करने चाहिए, क्योंकि इससे नाजुक ट्यूलिप फूलों को नुकसान पहुंचता है.
इस समय ट्यूलिप फूलों का बगीचा पर्यटको को आकर्षित करने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसे बड़े पैमाने पर सजाया गया है. इस वर्ष सीधी क्यारियां बनाई गई हैं और उनमें नई किस्म के ट्यूलिप फूल लगाए गए हैं. इनमें उसी रंग के, दो रंगों के और विभिन्न रंगों के फूल भी शामिल हैं.
ट्यूलिप उद्यान का पूरी तरह विस्तार करने की तैयारियां चल रही हैं. इस वर्ष ट्यूलिप फूल की लगभग तीन लाख गांठें आयात की गई हैं. विश्वभर के पर्यटक इस उद्यान की सुंदरता की ओर आकर्षित होते हैं. यहां तक कि कश्मीर घाटी से लौटने के बाद भी पर्यटकों के मस्तिष्क में ट्यूलिप बाग की सम्मोहित करने वाली सुंदरता की याद ताजा बनी रहती है.