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रेप मामले की जांच पर तृणमूल की आलोचना

कोलकाता | समाचार डेस्क: पश्चिम बंगाल के पांच सांसदों को मध्य प्रदेश में हुए दुष्कर्म मामले की जांच पड़ताल के लिए भेजे जाने पर जहां तृणमूल सरकार की आलोचना हो रही है, वहीं महिला कार्यकर्ता दुष्कर्म पीड़ित के खिलाफ व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी देने वाली दो महिला सांसदों को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने पर भयभीत हैं.

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए भारतीय जनता पार्टी की टीम भेजे जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 वर्षीया महिला के साथ हुए दुष्कर्म और उसे पेशाब पिलाए जाने की घटना की जांच के लिए भाजपा शासित राज्य के खंडवा में अपने सांसदों की टीम भेजे जाने का फैसला किया. इसके बाद मध्यप्रदेश में भी भाजपा के मंत्रियों ने तृणमूल के इस कदम को संघीय और राज्य के रिश्तों को बिगाड़ने वाला बताया और विरोध किया गया.

इधर कोलकाता में भी तृणमूल पर दुष्कर्म के राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कई महिला कार्यकर्ताओं ने सांसद काकोली घोष दस्तिदर और अर्पिता घोष को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाने का विरोध किया है.

पश्चिम बंगाल में बढ़ते अपराध पर सरकार की आलोचना करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता अनुराधा तलवार ने प्रतिनिधिमंडल पर राजनीतिक हथकंडे का आरोप लगाया.

तलवार ने कहा, “राजनीतिक हथकंडा अपनाने की जगह तृणमूल को अपने घर को व्यवस्थित करने पर ध्यान देना चाहिए. वास्तव में दस्तिदर उस टीम का हिस्सा है जो न सिर्फ तृणमूल की अंसवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखा रहा है कि यह टीम क्या नतीजे लेकर आएगी.”

एक अन्य कार्यकर्ता बोलन गांगुली ने तृणमूल पर अंसवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए कहा कि घोषण और दस्तिदर खंडवा दुष्कर्म पीड़ित को राहत देने की जगह उनके दर्द को बढ़ा देंगी. इधर, भाजपा ने भी ममता के इस कदम की आलोचना की.

भाजपा सांसद और बॉलीवुड गायक बाबुल सुप्रियो ने कहा, “तृणमूल की कार्यशैली तर्क को नहीं समझती, प्रतिनिधिमंडल को भेजना हास्यास्पद है क्योंकि उनके खुद के राज्य में महिलाएं न्याय का इंतजार कर रही हैं, जबकि महिलाओं के साथ अपराध में बंगाल शीर्ष पर बना हुआ है.” इन आलोचनाओं के बीच पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल खंडवा जिले के भिलाई खेड़ा गांव के लिए बुधवार को रवाना हुआ, जहां मध्यप्रदेश में भी उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा है.

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