सेंट्रल गोंडवाना

मध्यप्रदेश के आदिवासी मजदूर को खुदाई में मिला 1 करोड़ का हीरा

रायपुर। संवाददाताः मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बुधवार को एक आदिवासी मजदूर की किस्मत चमक गई. उसे पन्ना की प्रसिद्ध हीरा खदान से 19.22 कैरेट का हीरा मिला है, जिसकी कीमत करीब एक करोड़ रुपए बताई जा रही है.

अहिरगामा निवासी आदिवासी मजदूर राजू गौड़ पिछले दस साल से खदान में खुदाई करके अपनी किस्मत आजमा रहा था. उसे पता नहीं था कि उसकी किस्मत एक दिन इस तरह चमक जाएगी.

राजू गौड़ को उम्मीद है कि हीरे की नीलामी के बाद उसे मिलने वाली रकम से उसकी आर्थिक मुश्किलें कम होंगी और उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकल सकेगा.

उसे यह हीरा कृष्णा कल्याणपुर पटी स्थित खदान में मिला है.

राजू गौड़ ने बताया कि उसने 6 मई 2024 को हीरा कार्यालय से खदान खोदने के लिए पट्टा लिया था और तभी से वह परिवार सहित खदान खोदने का काम कर रहा था. भीषण गर्मी में भी परिवार खदान में काम करता रहा.

हीरा मिलने से प्रसन्न राजू गोड़ ने कहा कि ‘पूरी उम्मीद थी कि भगवान हमें इस खदान से कुछ न कुछ जरूर देगा. ऊपर वाले ने हमारी सुन ली. उन्होंने हमें उम्मीद से ज्यादा छप्पर फाड़ कर दे दिया.’

हीरा मिलने के बाद अहिरगामा के आदिवासी टोला में खुशी का माहौल है.

राजू गौड़ ने हीरा सरकारी अधिकारियों के पास जमा करा दिया है.

पन्ना हीरा कार्यालय के अधिकारी अनुपम सिंह ने बताया कि इस हीरे को अगली नीलामी में बिक्री के लिए रखा जाएगा.

कलेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि खदान में मिला 19.22 कैरेट का हीरा नीलामी में 80 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत में बिक सकता है.

उन्होंने बताया कि अगली नीलामी में इस हीरे को खुली बोली के लिए रखा जाएगा.

मिल सकते हैं 58 लाख रुपए

अधिकारियों ने बताया कि कच्चे हीरे की नीलामी की जाएगी और सरकारी रॉयल्टी और करों में कटौती करने के बाद जो भी राशि होगी, वह मजदूर को दी जाएगी.

सरकारी नियम के मुताबिक, सरकार हीरा खोजने वाले को आयकर और रायल्टी की रकम काटकर पैसा देती है.

इस हिसाब से हीरे से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत इनकम टैक्स और करीब 12 प्रतिशत रायल्टी की राशि काटी जाएगी.

इस हिसाब से अगर हीरा 80 लाख से 1 करोड़ रुपए में नीलाम होता है तो राजू गौड़ को करीब 46 से 58 लाख रुपए तक मिल सकते हैं.

12 लाख कैरेट हीरे के भंडार का अनुमान

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में 12 लाख कैरेट के हीरे का भंडार होने का अनुमान है.

भारत में हीरे की खुदाई का काम आज़ादी से भी पहले से हो रहा है.

पन्ना जिले से हीरे निकालने का इतिहास 300 साल पुराना है.

आजादी से पहले राजपरिवार के संरक्षण में हीरा खदानों का संचालन होता था. बाद में हीरा खदानों के लिए पट्टे जिला प्रशासन देने लगा.

सन 1961 से यह काम हीरा कार्यालय की ओर से किया जा रहा है.

250 रुपए में मिलता है हीरा खनन का पट्टा

पन्ना में हीरे की खुदाई के लिए हीरा कार्यालय से सरकारी पट्टा बनवाना पड़ता है.

इसके बाद हीरा कार्यालय एक जमीन का टुकड़ा दे देता है, जहां खुदाई की जाती है.

कई फीट मिट्टी हटाने के बाद मिलने वाली मिट्टी-कंकड़ों को दूसरे गड्ढे में डालकर पानी से धोया जाता है. मिट्टी हटने पर सिर्फ कंकड़ बचते हैं. इन्हीं कंकड़ों में हीरे मिल सकते हैं.

पन्ना में भारत का कोई भी नागरिक 250 रुपये में पट्टा बनवाकर हीरे की खोज कर सकता है. एक पट्टे की अवधि छह महीने की होती है.

7 माह में मिले 8 हीरे

पन्ना के हीरा एवं खनिज अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि कार्यालय में बुधवार को आदिवासी मजदूर ने 19 कैरेट 22 सेंट के वजन का हीरा जमा करवाया गया है.

यह हीरा उज्ज्वल जैम क्वालिटी का है.

उन्होंने बताया कि विगत 7 माह में मिले हीरों में यह सबसे बड़ा है.

इस वर्ष पन्ना के हीरा कार्यालय में अब तक कुल 8 हीरे जमा हुए हैं, जिनका कुल वजन 59.65 कैरेट है.

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