छत्तीसगढ़

‘मां के नाम एक पेड़ लगाने वाले, अडानी के लिए लाखों पेड़ कटवा रहे’

रायपुर | संवाददाता: हसदेव के आदिवासियों ने कहा है कि सरकार ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने का आह्वान कर रही है, वहीं भाजपा की राजस्थान सरकार, अडानी समूह के दबाव में छत्तीसगढ़ में लाखों पेड़ों की बलि लेना चाहती है.

इन आदिवासियों ने कहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री लाखों पेड़ों की कटाई को जश्न की तरह, प्रचारित कर रहे हैं. वे छत्तीसगढ़ को भी राजस्थान की तरह बनाना चाहते हैं.

असल में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोशल मीडिया पर परसा ईस्ट केते बासेन की 91.21 हेक्टेयर वनभूमि का उपयोग करने के लिए अनुमति देने पर आभार जताया था.

भजनलाल शर्मा ने मांग की थी कि छत्तीसगढ़ सरकार 108 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षों की कटाई करवाकर, एवं वित्त वर्ष 2025-26 से अगले छह वर्षों के खनन कार्यों हेतु आवश्यक 411 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षों की कटाई के पश्चात, उक्त भूमि को आरवीयूएन को हस्तांतरित करने की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मांग की थी कि परसा कोयला खंड पर खनन कार्य प्रारंभ करने हेतु संबंधित भूमि पर वृक्षों की कटाई करवाकर उक्त भूमि को आरवीयूएन को हस्तांतरित करने की व्यवस्था करें.

आदिवासियों ने जताया विरोध

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने कहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार एक पेड़ मां के नाम लगाने का आह्वान कर रही है, वहीं दूसरी ओर अडानी समूह वाले एमडीओ के चक्कर में राजस्थान के मुख्यमंत्री कई लाख पेड़ों की कटाई की मांग कर रहे हैं, उन पेड़ों की कटाई पर खुशी जाहिर कर रहे हैं.

आदिवासियों ने कहा कि इन खदानों से लाखों टन कोयला हर साल अडानी के अपने पावर प्लांट में जाता है.

भविष्य में भी इसका लाभ राजस्थान के लोगों को नहीं होने वाला है.

संघर्ष समिति के आदिवासियों ने कहा कि राजस्थान सरकार ने अपने खदान अडानी को दे रखे हैं और कोल इंडिया से भी महंगा कोयला राजस्थान सरकार अडानी से लेती है, जिसके कारण राजस्थान के लोगों को महंगी बिजली मिलती है.

आदिवासियों ने आरोप लगाया कि जब छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में यह हलफ़नामा दिया है कि अकेले परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान से ही राजस्थान की अगले 20 सालों की कोयले की ज़रुरत पूरी हो सकती है तो राजस्थान सरकार फिर नये खदान के नाम पर कई लाख पेड़ों की कटाई क्यों करवाना चाहती है?

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने कहा कि हम राजस्थान के आदिवासियों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे हसदेव अरण्य में रहने वाले आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन से विस्थापित करने की लड़ाई में हमारा साथ दें.

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