किसानों ने सड़कों पर फेंका टमाटर
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में किसानों ने पिछले कुछ दिनों से सड़कों पर टमाटर फेंकना शुरु कर दिया है. दुर्ग ज़िले के धमधा इलाके में पिछले कुछ दिनों में कई क्विंटल टमाटर फेंक दिये गये हैं. अकेले परसुली गांव में किसानों ने सौ क्विंटल से अधिक टमाटर फेंक दिये.
किसानों का कहना है कि टमाटर की तुड़ाई और उसके परिवहन में जितना खर्चा हो रहा है, उतना पैसा भी उन्हें मंडी में नहीं मिल रहा है. थोक की तो बात छोड़ें, चिल्हर में भी पांच रुपये में दो किलो टमाटर मिल रहा है. ऐसे में इसकी बिक्री घाटे का सौदा हो गया है.
टमाटर की फसल लेने वाले किसान सदमे में हैं. लाखों रुपये खर्च करने के बाद आज जो कीमत है, उससे लागत भी वसूल पाना संभव नहीं है. यही कारण है कि दानी कोकड़ी, सुखरीकला, गाड़ाघाट, घसरा, खिलोरा, सिली, जाताघर्रा, कन्हारपुरी जैसे गांवों में किसानों ने तैयार हो चुकी टमाटर की फसल खेतों में ही सड़ने के लिये छोड़ दिया है.
इलाके के कई किसानों से हमने बातचीत की. उनका कहना था कि प्रति एकड़ टमाटर उगाने में लगभग सवा लाख रुपये खर्च होते हैं. जिसमें 60 टन के आसपास की उपज होती है. पिछले साल अक्टूबर तक 24 किलो के कैरेट की कीमत थोक मंडी में 900 रुपये के आसपास थी, इस साल अभी यह कीमत 25 से 30 रुपये कैरेट पहुंच चुकी है. स्थानीय बाजार भी बैंगलोर से आयातित टमाटर से पटा हुआ है. इसलिये किसान खेतों में इसकी फसल बर्बाद होने देने को भी फायदेमंद मान कर चल रहे हैं.
2017 में भी यही हालात पैदा हुये थे. इसके बाद विधानसभा में विपक्षी दल के विधायक भूपेश बघेल ने अशासकीय संकल्प पेश करते हुये सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के लिये कहा था. इसके बाद कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी सहमति जताई. विधानसभा में टमाटर की प्रोसेसिंग, कैचप बनाने के लिये खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने का का संकल्प सर्व सम्मति से पारित हुआ था. लेकिन इतने महीनों के बाद भी अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई.