बाघों से मुक्ति चाहता है छत्तीसगढ़ का वन विभाग?
रायपुर | संवाददाता: क्या छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने बाघों को छत्तीसगढ़ से खदेड़ने का मन बना लिया है? कम से कम वन विभाग के ताज़ा आदेश से तो ऐसा ही लग रहा है.
वन्यजीव विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि खनन के चक्कर में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ को बाघ मुक्त करना चाहती है. राज्य के दो बाघों के साथ, वन विभाग ने जो सलूक किया है, वह दिलचस्प है.
हाईकोर्ट के दबाव में बनाए गए, गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व से एक बाघ सूरजपुर के इलाके में पहुंच गया. नवंबर के अंतिम सप्ताह में भोजन की तलाश में पहुंचे इस बाघ ने 3 पालतू मवेशियों का शिकार किया.
इसके बाद राज्य सरकार ने इस बाघ को टाइगर रिजर्व के भीतर रखने के लिए, बाघ अनुकूल इलाका बनाने के बजाय टाइगर रिजर्व के इस बाघ को भोरमदेव के जंगल में छोड़ने का आदेश जारी किया है. भोरमदेव टाइगर रिजर्व नहीं है.
भोरमदेव का जंगल मध्यप्रदेश के कान्हा से लगा हुआ है.
ऐसे में माना जा रहा है कि यह बाघ भोरमदेव से मध्यप्रदेश के इलाके में चला जाएगा और इस बाघ की निगरानी, प्रबंधन और सुरक्षा की जिम्मेवारी से छत्तीसगढ़ का वन विभाग मुक्त हो जाएगा.
सरगुजा इलाके के एक वन्यजीव विशेषज्ञ ने कहा-“पता नहीं विष्णुदेव साय की सरकार कैसा टाइगर रिजर्व बनाना चाहती है, जिसमें बाघ ही नहीं होंगे. ऐसा लगता है कि यहां के बाघ को पकड़ कर राज्य सरकार भोरमदेव में इसलिए ही छोड़ना चाहती है, ताकि यह टाइगर रिजर्व बाघ मुक्त हो जाए और फिर इसे ही आधार बना कर टाइगर रिजर्व का स्टेटस कैंसल करवा कर, यहां खनन का काम शुरु किया जा सके.”
एक और बाघ को भी मप्र के हवाले करने की योजना?
एक दूसरे बाघ को लेकर भी छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने जो रणनीति बनाई, वह सरकार की मंशा को साफ करता है.
असल में कई महीनों तक बारनवापारा के इलाके में घूमते एक बाघ को, बारनवापारा में ही बसाने की योजना सरकार ने बनाई थी. लेकिन उसके लिए अनुकूल वातावरण बनाने की कोई कोशिश वन विभाग ने नहीं की.
बाघ जब आबादी वाले इलाके में पहुंचने लगा तो इस बाघ को पकड़ कर गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया.
इस बाघ को लेकर वन विभाग की मंशा को केवल इस बात से समझा जा सकता है कि देश के तीसरे सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में, बारनवापारा के इलाके के बाघ को उस जगह पर छोड़ा गया, जहां से मध्यप्रदेश की सीमा महज 300 मीटर दूर है.
यहां तक कि उस जगह से मध्यप्रदेश का संजय डूबरी टाइगर रिजर्व केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर है. फिलहाल तो यह बाघ दो बाघिनों के साथ इसी इलाके में है.
लेकिन वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ, अनुकूल क्षेत्र की तलाश में मध्यप्रदेश की ओर रुख कर सकता है.
अगर ऐसा हुआ तो गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व पूरी तरह से बाघ विहीन हो जाएगा.