छत्तीसगढ़ से 500 किलोमीटर दूर बंगाल पहुंचा बाघ
रायपुर | डेस्कः अप्रैल 2024 में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर (गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा) में एक बाघ की तस्वीर खींची गई. अभी हाल ही में फोटोग्राफिक साक्ष्यों से पता चल रहा है कि वही बाघ, बंगाल के पुरुलिया जिले के बंदवान में देखा गया है. बलरामपुर से पुरुलिया के बंदवान की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है.
कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ से बाघ झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व पहुंचा था. कथित तौर पर मई-जून 2024 में पलामू में एक कैमरा ट्रैप में इस बाघ की फोटो क्लिक की गयी थी.
पलामू टाइगर रिजर्व से होते हुए यह बाघ पुरुलिया पहुंचा, जो कि पलामू से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित है.
झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यह आवागमन संभव है, क्योंकि बाघ गुमला, बंदगांव और चंदीउल-गम्हरिया रेंज के मौजूदा हाथी गलियारों का उपयोग करते हुए आवाजाही करते हैं.
हालांकि अभी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस बारे में कोई अधिकृत टिप्पणी नहीं की है.
एनटीसीए बाघ प्रकोष्ठ के सूत्रों ने बताया कि पलामू के अधिकारियों को आधिकारिक सूचना भेज दी गई है, क्योंकि तस्वीरें उन्हीं ने भेजी थीं.
पलामू टाइगर रिजर्व के उप निदेशक ब्रजेश जेना का कहना है कि हमारे पास पुरुलिया में खींची गई बाघ की तस्वीरें हैं और हमने उन्हें एनटीसीए-डब्लूआईआई को भेज दिया है. हम इसकी पहचान के बारे में पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने विस्तार से बताया कि मध्य प्रदेश और झारखंड में फैले बांधवगढ़-संजय-गुरु घासीदास-पलामू-दलमा परिदृश्य के कारण बाघों की आवाजाही ओडिशा और दक्षिणी पश्चिम बंगाल दोनो ओर होती है.
सूत्रों की मानें तो एनटीसीए टाइगर सेल के अखिल भारतीय डेटाबेस में पलामू के तीन नर बाघों के रिकॉर्ड हैं- जिसमें देश भर के बाघों की अनूठी फोटो आईडी, जैसे आधार विवरण शामिल हैं. एक नर बाघ की धारियों का पैटर्न इस बाघ से मेल खाता है.
मार्च 2024 में एक और बाघ, जिसे पहली बार मध्यप्रदेश के संजय नेशनल पार्क में देखा गया था. उसे पलामू और उसके बाद ओडिशा के बोनाई डिवीजन में देखा गया. अधिकारियों ने सिमिलिपाल नेशनल पार्क के बफ़र जोन में इसके वर्तमान ठिकाने की पुष्टि की है.
इससे पहले पलामू में भी एक युवा नर को बाघ को देखा गया था, जिसकी उम्र लगभग 3 वर्ष थी. पलामू में देखे जाने के बाद से उसकी गतिविधियों पर नज़र नहीं रखी जा सकी है.
तीसरा बलरामपुर का बाघ है, जिसकी फोटो पहले पलामू में ली गई था और संभवतः अब यह पुरुलिया में है.
पलामू के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने 4-5 नर बाघों के फोटोग्राफिक साक्ष्यों की पुष्टि की है. उन्होंने मीडिया को कहा कि हैदराबाद में विश्लेषण किए गए एक अन्य बाघ के मल के नमूनों से मादा बाघ की मौजूदगी का पता चला.
बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) को पुरुलिया बाघ की तस्वीरें भेजने की पुष्टि की है.
पलामू के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष के अनुसार पलामू से बाघ आमतौर पर गुमला से खिजरी तक जाते हैं और बंदगांव के पास जंबो कॉरिडोर तक पहुंचते हैं. वहां से वे या तो चांडिल और पुरुलिया की अयोध्या पहाड़ियों की ओर बढ़ते हैं या दलमा के रास्ते बंदवान की ओर बढ़ते हैं.
जिस बाघ को पुरुलिया में देखा गया है, उस बाघ की उपस्थिति हजारीबाग और गुमला के इलाके में भी रिकॉर्ड की गई थी.