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देश में तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से

नई दिल्ली । डेस्क: देश में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे. ये तीनों कानूनों 25 दिसंबर 2023 को अधिसूचित किए गए थे.

तीनों नए कानून भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.

सरकार का दावा है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के मद्देनजर पुराने कानूनों में बदलाव किया गया है.

नए कानून में यौन अपराधों को लेकर कड़े उपाय किए गए हैं.

ऐसे अपराधों के लिए दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

संगठित अपराध जैसे- अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध और व्यक्तियों, ड्रग्स, हथियारों या अवैध वस्तुओं या सेवाओं की तस्करी को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं.

वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी, संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से मिलकर काम करने वाले व्यक्तियों या समूहों द्वारा की जाती है, उन्हें कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा.

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भौतिक लाभ के लिए हिंसा, धमकी, डराने-धमकाने, जबरदस्ती या अन्य गैरकानूनी तरीकों से किए गए अपराधों को कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.

मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलों को लेकर भी काननू में बदलाव किए गए हैं.

इसके तहत पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है तो ऐसे मामलों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास के साथ जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

7 साल सजा वाले अपराधों में फारेंसिक जांच अनिवार्य

1973 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू की जा रही है.

इसमें महत्वपूर्ण प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए है.

अब कम से कम सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है.

इससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर साक्ष्य एकत्र और रिकॉर्ड करें.

यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है तो वह दूसरे राज्य की सुविधाओं का उपयोग कर सकता है.

बलात्कार पीड़ितों की जांच करने वाले चिकित्सकों को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट जांच अधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी.

बहस के पूरा होने के 30 दिनों के भीतर निर्णय सुनाया जाएगा.

इसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है.

पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना होगा.

फोटो, वीडियो, मैसेज बनेंगे अहम साक्ष्य

इंडियन एविडेंस एक्ट (आईईए) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनयम (बीएसए) 2023 लागू किया किया जाएगा.

इंडियन एविडेंस एक्ट में 11 अध्याय व 167 धाराएं हैं, वहीं भारतीय साक्ष्य अधिनयम में 12 अध्याय व 170 धाराएं हैं.

मृत्यु बयान की धारा 32 को अब धाऱा 26 के नाम से जाना जाएगा.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम में फोटो, वीडियो, मैसेज में अहम साक्ष्य माने जाएंगे.

साथ ही डाक्टर, पुलिस व अन्य गवाहों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से गवाही हो सकेगी.

नए कानून में दंड की जगह न्याय पर जोर दिया गया है.

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