छत्तीसगढ़

अधिकारी ने कहा- व्यवस्था दुरुस्त करो, उनके जाते ही संप्रेषण गृह से दो अपचारी बालक फरार

कोरबाः संवाददाताः छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के बाल संप्रेषण गृह से दो अपचारी बालक फरार हो गए हैं.

आश्चर्यजनक बात यह है कि, रविवार को महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश निरीक्षण के लिए बाल संप्रेषण गृह पहुंची थी. उन्होंने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे. उनके जाने के कुछ घंटे बाद ही यह घटना घटित हो गई.

इस घटना ने बाल संप्रेषण गृह के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलकर रख दी है.

कोरबा के बाल संप्रेषण गृह से 25 जून 2024 को भी 3 अपचारी बालक फरार हो गए थे.

पुलिस के अनुसार, फरार दोनों अपचारी बालक गंभीर आपराध के मामले में बाल संप्रेषण गृह भेजे गए थे. प्रतिदिन की तरह बीती रात को भी भोजन करने के बाद उन्हें संप्रेषण गृह के कमरों में भेज दिया गया था.

दोनों बालक भी अन्य अपचारी बालकों की तरह अपने बिस्तर में सोने चले गए थे. सुबह शौच के बहाने संप्रेषण गृह के पीछे हिस्से में पहुंचे और शौचालय की दीवार कूदकर फरार हो गए.

अपचारी बालकों के फरार होने की खबर तब लगी, जब दोनों काफी देर तक कमरे में नहीं पहुंचे. इससे संप्रेषण गृह में हड़कप मच गया.

घटना की सूचना बालकों के परिजनों को दी गई और उनके घर पहुंचने पर तत्काल अवगत कराने को कहा गया है.

बाल संप्रेषण गृह में लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. फरार बालकों की तलाश की जा रही है.

कुक और हाउस कीपर के भरोसे संप्रेषण गृह

बताया जा रहा है कि कोरबा के बाल संप्रेषण गृह के संचालन के लिए 16 अधिकारियों-कर्मचारियों का सेटअप है, लेकिन केवल चार कर्मचारी ही कार्यरत हैं.

बाल संप्रेषण गृह का संचालन कुक और हाउस कीपर के भरोसे चल रहा है, जिसका सीधा वहां की व्यवस्थाओं पर पड़ रहा है.

रायपुर से भागे 10 अपचारी बालक

राजधानी के माना स्थित बाल संप्रेषण गृह की खिड़कियों में सेंध लगाकर 29 जून को 10 बाल अपचारी फरार हो गए थे.

इनमें से 6 को पुलिस ने खोज निकाला है, वहीं 4 अभी भी फरार बताए जा रह हैं.

बाल संप्रेषण गृह की खिड़कियां पुरानी हो चुकी हैं, जिसे तोड़कर 10 अपचारी बालक बैरक से बाहर निकले थे और दीवार फांदकर फरार हो गए थे.

प्रदेशभर के बाल संप्रेषण गृहों से अपचारी बालकों के फरार होने की लगातार घटनाएं सामने आती रहती हैं. इसके बावजूद सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

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