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आपके पास है तोता तो जेल जाने के लिए रहें तैयार !

बिलासपुर| संवाददाताः घरों में तोता पालने की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन अब यह शौक मुश्किल वाला साबित हो सकता है.

अगर आपको इससे बचना है तो अपने तोता या परिंदे की पहचान वन विभाग से करा लें कि वह वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की अधिसूची में शामिल तो नहीं है.

यदि ऐसा है तो उसे सात दिनों के अंदर अपने पास के जू में ले जाकर जमा करा दें.

कम से कम बिलासपुर के वन विभाग ने तो ऐसा ही फरमान जारी किया है.

बिलासपुर डीएफओ सत्यदेव शर्मा ने एक आदेश जारी करते हुए बताया कि तोता एवं अन्य अनुसूचित पक्षियों को पिंजरे में कैद रखना या पालना गैरकानूनी है.

वन विभाग के अनुसार यह वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. जिसमें कारावास एवं जुर्माने का प्रावधान है.

डीएफओ ने कहा है कि जिनके पास तोता एवं अन्य अनुसूचित पक्षी हैं, वे समस्त पक्षियों को सात दिनों के भीतर कानन पेंडारी बिलासपुर में ले जाकर वन विभाग में जमा करा दें.

उन्होंने यह भी कहा है कि तोता के अलावा अगर किसी के पास अन्य तरह के परिंदे भी हैं तो वे भी उसे कानन पेंडारी ले जाएं, उसका भी परीक्षण करवा लें.

यदि वह परिंदा वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की अधिसूची में शामिल है तो उसे कानन पेंडारी में जमा करा दें.

उन्होंने कहा है कि सात दिन के बाद किसी भी व्यक्ति के पास तोता अथवा अन्य अधिसूचित पक्षी पाए जाने पर, उनके विरूद्ध वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई की जाएगी.

क्या कहता है क़ानून

भारत में तोते की 11 प्रजातियां पाई जाती हैं.

तोते को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में संरक्षित किया गया है.

कानून के अनुसार, इन पक्षियों को न तो पकड़ा जा सकता है, न बेचा जा सकता है और न ही उन्हें कैद में रखा जा सकता है.

अगर किसी के द्वारा उन्हें बेचने या उनका व्यापार करने की सूचना मिलती है, तो उसे 25,000 रुपये का भारी जुर्माना, तीन साल तक की कैद या दोनों हो सकते हैं.

तोते के अलावा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 28 फरवरी को जारी जीवित पशु प्रजाति (रिपोर्टिंग और पंजीकरण) नियम, 2024 के अनुसार, मैकॉ, कॉकटू या विभिन्न प्रकार के सॉफ्ट-शेल कछुओं जैसे विदेशी पालतू पक्षी और जीवों को राज्य वन्यजीव विभाग के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है.

इनके अंतर्गत आने वाली प्रजातियाँ वे हैं, जो वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के तहत सूचीबद्ध हैं.

भारत में अलग-अलग अनुसूचियों में शामिल जीवों की पूरी सूची, आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं.

अभी कोई आदेश नहीं मिला- रेंजर

इस संबंध में कानन पेंडारी के रेंजर शिवकुमार नाग से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि उनके पास अभी तक कोई आदेश या निर्देश नहीं आया है. इस संबंध में जानकारी जरूर है.

उन्होंने कहा कि तोते की कई प्रजाति हैं, जिन्हें पाला जाता है.

उन्होंने कहा कि यहां डॉ. पवन कुमार चंदन पक्षियों का निरीक्षण करते हैं, वही बताएंगे कि कौन सा पक्षी किस अनुसूची में आता है.

हालांकि किस नियम के अंतर्गत तोते को जमा करवाने का आदेश जारी किया गया है, उसे लेकर अफ़सर गोल-मोल जवाब दे रहे हैं.

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