एंग्री बर्ड्स की पॉलीटिक्स क्या है?
दिनेश श्रीनेत
एंग्री बर्ड्स बच्चों की मासूम फिल्म नहीं है. यह एक पॉलिटिकल फिल्म है. या कहें तो यह एनीमल फॉर्म की तरह एक बेहद स्पष्ट पॉलिटिकल एलेगरी है. जो सीधे-सीधे यूरोपीय देशों में शरणार्थियों की समस्या, इस्लामिक आतंकवाद और अमेरिका की नीतियों पर बात करती है. यह हॉलीवुड की तमाम बेहतरीन एनीमेशन फिल्मों जैसे द लॉयन किंग, टॉय स्टोरी, अप, बोल्ट और फ्रोजन की तरह मानवीय संवेदनाओं से भरी फिल्म नहीं है. यह एक सपाट प्रापगैंडा फिल्म है.
काश यह फिल्म सिर्फ अमेरिकी प्रापगैंडा तक ही सीमित होती… मगर यह एक नस्लवादी फिल्म भी है. फिल्म में साफ तौर पर दिखाया गया है कि किस तरह कुछ एक आइलैंड जहां पर शांतिप्रिय परिंदे मौजूद हैं उनके बीच पिग्स बहाने से आते हैं. परिंदे टापू में उनका स्वागत करते हैं और दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाते हैं. रेड बर्ड जो फिल्म का नायक है, हमेशा उन्हें संदेह की दृष्टि से देखता है. फिल्म का खलनायक एक हरा पिग है, जिसकी दाढ़ी देखकर समझा जा सकता है कि उसे एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक समुदाय के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है. इसमें एक शरारत भी है, क्योंकि पिग इस धार्मिक समुदाय में घृणित माना जाता है.
फिल्म के नायक की दिक्कत यह है कि वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता. इस थीम को लेकर फिल्म दोहरे स्तर पर मौजूदा शरणार्थी नीतियों और अमेरिका की उदारवादी नीतियों का मजाक उड़ाती है. फिल्म में शांतिप्रिय परिंदे दरअसल मूर्ख साबित होते हैं, जो अपने दुश्मनों को पहचान नहीं पा रहे हैं बल्कि उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और अपने टापू पर उन्हें रहने की इजाजत भी दे रहे हैं. इतना ही नहीं वे इतने मूर्ख हैं कि जब रेड बर्ड उन्हें खतरे से आगाह करना चाहता है तो वे उसकी सभी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं.
रेड बर्ड अपने दो साथियों के साथ उस महान परिंदे यानी बाज से मदद मांगने जाता है, जिसे सारे परिंदों का मार्गदर्शन माना जाता है. यह बाज दरअसल अमेरिकन ईगल है, जिसे 1782 में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका ने अपना राष्ट्रीय पक्षी मान लिया था. फिल्म अमेरिका के इस प्रतीक को आलसी और अतीत में जीने वाला दिखाती है. जिसके पास सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों और दिखावटी आदर्श के अलावा कुछ नहीं है. वह इतना बूढ़ा हो चुका है कि उन परिदों की कोई मदद नहीं कर सकता.
इस बीच पिग्स सारे अंडे चुरा ले जाते हैं और रेड बर्ड तय करता है कि सभी बर्ड्स को क्या करना चाहिए. सबसे पहले वे अपनी सोच में बदलाव लाते हैं और गुस्से को अपना हथियार बनाते हैं. यहां क्रोध को एक ऊर्जा के रूप में लिया गया है. यह क्रोध पिग्स के प्रति नफरत से उपजता है और वे पिग्स की बस्ती पर हमला कर देते हैं. फिल्म का पूरा प्लॉट Xenophobia पर आधारित है. जहां दूसरे देश के लोगों के प्रति नफरत या दुराग्रह की भावना होती है.
फिल्म के रंगों में प्रतीकों की भरमार है. पिग्स का रंग हरा है, जो उस धार्मिक समुदाय का रंग भी है, जिसको फिल्म में लक्ष्य किया गया है. बाज बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि अमेरिका का राष्ट्रीय पक्षी. रेड बर्ड को गौर से देखने के बाद उसका रंग संयोजन नाजी झंडे की याद दिलाता है – सफेद और लाल रंग. फिल्म में रेड बर्ड और उसके साथी जर्मनी के झंडे का रंग तैयार करते हैं. काला, लाल और पीला.
इतना ही नहीं फिल्म में बड़ी बारीकी से रेसिस्ट और इस्लामोफोबिक अवधारणाएं रची गई हैं. पिग्स का जहाज विस्फोटक सामग्री से भरा हुआ है. इतना ही नहीं उनके शहर भी बारूद के ढेर पर बसे हैं. जब रेड वर्ड जहाज पर पहुंचता है तो वहां पर प्रमुखता से एक किताब फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रीन दिखाई जाती है. इसी तरह से शुरु में ही एक पिग एक फीमेल बर्ड की तरफ जिस तरह लपकता है, वह इस धारणा को बल देता है कि पिग्स सेक्सुअल हमले भी कर सकते हैं. जब पिग्स आइलैंड में धमाके करते हैं तो कुछ संवाद पेरिस में हुए आतंकी हमले का संदर्भ लेते हैं.
कुल मिलाकर एंग्री बर्ड ने सिनेमा के इतिहास में एक बुरी और नस्लवादी फिल्म के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है. इसमें फूहड़ किस्म के राजनीतिक और नस्लवादी मजाक हैं जो इसे कहीं से भी एक कला का दर्जा देने की स्थिति में नहीं रखते.