रसोई

फारस से भारत आई तंदूरी

नई दिल्ली | बीबीसी: भारत में आज खाई जाने वाले कई चीजें विदेशों से आई हैं. भारत में अब लगभग हर जगह खाया जाने वाला तंदूर फारस से आया है और मोमोज मंगोल लेकर आए. इंडोनेशिया से भारत को भाप वाले बर्तन मिले तो अब कई चीजों के साथ मिलाकर खाया जाने वाला सॉस ब्रितानी भारत लेकर आए. तब ये सवाल उठता है कि इससे पहले भारत के पास खाने के लिए अपना क्या था?

वर्ष 1335 के करीब इब्न बतूता की मुलाक़ात मुहम्मद बिन तुगलक से हुई थी. इस मुलाक़ात के एक हफ्ते बाद उन्हें शाही खेल समरोह और शाही भोज पर बुलाया गया था.
इस शाही भोज का वर्णन करते हुए इब्न बतूता रोटी, मांस के बड़े-बड़े टुकड़ों, घी और शहद में चुपड़े हुए केक, संबुसाक (अभी के समोसे की तरह), घी में पके हुए चावल और गोश्त, मीठे केक और मिठाइयों के बारे में लिखते हैं.

वो लिखते हैं कि उस वक्त भोज में शामिल लोगों ने खाने से पहले शरबत पीया और खाने के बाद बार्ली वाटर. उसके बाद लोगों ने पान और सुपारी का सेवन किया.

अगर आज की तारीख में किसी को भारतीय व्यंजनों के बारे में बात करनी है तो कम से कम हम सभी यह जानते हैं कि बहुत संभव है वो चाय, समोसा और केसर जैसी चीज़ों के बारे में बात करेगा.

अब ये खाने-पीने की चीजें जो भारतीय व्यंजन का अटूट हिस्सा बन चुकी हैं, क्या वाकई में भारतीय हैं.

अब उम्दा दर्जे की मिर्च को ही लें. यह भारतीय खाने का आज एक अनिवार्य तत्व बन चुका है. इसे भारत में पुर्तगाली 13वीं और 14वीं शताब्दी के बीच लाए थे.

इसी तरह से यहां पिस्ता, गुलाब जल और बादाम के साथ पालक दारा के दरबार से आया. दारा फारस का राजा था.

हमारे यहां पाई जाने वाली आम की सबसे महंगी किस्म अल्फांसो भी पुर्तगाल का दिया तोहफा है.

और फ़िल्टर कॉफ़ी का भी भारत में तब प्रचलन शुरू हुआ जब बाबा बुदान मक्का से कॉफी के बीज भारत में ले आए और उसकी खेती यहां शुरू हुई.

तो क्या यह मानना सही रहेगा कि अगर इन सभी चीजों को भारतीय खान-पान से निकाल दिया जाता तो भारतीय खाने आज जैसे है उतने ही जायकेदार रह जाते? मगर पाक कला के महारथी जीग्स कालरा और शेफ अरूण कुमार जैसे शोधार्थियों की बात मानें तो ऐसा नहीं था.

हमारे प्राचीन मंदिर 10वीं सदी के करीब बने थे और इसके भी पहले हमारे खाने स्वादिष्ट हुआ करते थे. भारत में नींबू और मिर्च के आने से पहले काली मिर्च और पत्तियों की मदद से खाने को मसालेदार और स्वादिष्ट बनाया जा सकता था.

जीग्स कालरा का कहना है, “जहां तक खाना बनाने की तकनीक की बात है तो हमें पता था कि स्वादिष्ट खाना कैसे बनाया जाता है.”

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