डीजे-धुमाल के साथ निकली झांकियां, सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के निर्देश बेअसर
रायपुर| संवाददाताः राजधानी रायपुर में गणेश विसर्जन झांकी पर जानलेवा डीजे और धुमाल पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों का असर दिखाई नहीं दिया.यहां डीजे-धुमाल के साथ धूमधाम से झांकियां निकाली गई. इधर डीजे और ध्वनि विस्तारकों के दुरुपयोग पर याचिका दायर करने वाले राज्य के जाने-माने चिकित्सक राकेश गुप्ता ने इसकी शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है.
राजधानी रायपुर में गुरूवार की रात गणेश विसर्जन झांकियां निकाली गई. अधिकांश झांकियों में प्रतिबंध के बाद भी डीजे और धुमाल बजते रहे.
सरकार द्वारा डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध की बात कही गई थी. समितियों को डीजे बजाने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसके बाद भी समितियों द्वारा धड़ल्ले से इसका उपयोग किया गया.
धुमाल पार्टियां बड़े-बड़े साउंड बाक्स, वाहनों में रख कर तेज आवाज में बजाते रहे.
गुरूवार की रात 9 बजे शारदा चौक और जयस्तंभ चौक से झांकियां निकलनी शुरू हुई.
झांकी मालवीय रोड होते हुए कालीबाड़ी चौक, सदर बाज़ार, कंकाली चौक, पुरानी बस्ती होते हुए लाखेनगर पहुंची.
लाखेनगर में झांकियों को रोक कर सिर्फ गणेश मूर्तियों को विसर्जन के लिए महादेव घाट भेजा गया.
इस साल लगभग 45 से 50 झांकियां निकाली गईं.
कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने लिखा पत्र
राज्य के जाने-माने चिकित्सक और कांग्रेस नेता डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि गणेश मूर्ति विसर्जन और स्थापना के दौरान वाहनों में स्पीकर और डीजे बजाने वालों की शिकायत उन्होंने की है.साथ ही सड़कों पर मंच लगाकर स्पीकर बजाने और गणेश त्यौहार के दौरान सड़क पर स्पीकर और डीजे रखकर बजाने वालों पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की कलेक्टर रायपुर, सचिव पर्यावरण विभाग, अध्यक्ष और सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को पत्र लिखा है.
उन्होंने कहा कि विसर्जन के दौरान की रिकॉर्डिंग ट्रैफिक सिग्नल में लगे कैमरों से की गई है.
उन्होंने बताया कि कुछ जिलों में खानापूर्ति कर डीजे छोड़ने की जानकारी मिलने पर उन्होंने मुख्य सचिव को भी सभी जिला कलेक्टर को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश देने के लिए पत्र लिखा है.
उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होने पर वे अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर करेंगे.
क्या कहा है कोर्ट और राज्य शासन ने
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2017 को ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका के निर्णय में कहा है कि कानूनों के तहत कोर्ट में शिकायत करने की शक्ति प्राथमिक रूप से छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों के पास है. यह काम जिला प्रशासन भी कर सकता है. अधिकारी को किसी आम नागरिक की शिकायत का इंतजार करने की जरूरत नहीं है.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने साफ़ किया था कि किसी भी वाहन में साउंड बॉक्स रख कर नहीं बजाया जा सकता.