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छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से तीसरी मौत

बिलासपुर | संवाददाता: बिलासपुर में स्वाइन फ्लू का असर कम होता नज़र नहीं आ रहा है. रविवार को एक महिला की मौत के साथ बिलासपुर में मरने वालों की संख्या तीन हो गई है.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिलासपुर के मंगला इलाके के 66 वर्षीय एक व्यक्ति को स्वाइन फ्लू हो गया था.

उन्हें बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था.

सप्ताह भर तक मौत से जूझने के बाद उस व्यक्ति ने रविवार को दम तोड़ दिया.

इधर बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और पेंड्रा-मरवाही-गौरेला ज़िले में स्वाइन फ्लू के मरीज़ मिलने के बाद से दहशत का माहौल है.

दो दिन पहले भी स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है.

जांजगीर-चांपा ज़िले के लछनपुर गांव की रहने वाली 66 वर्षीय महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था.

लेकिन हालत बिगड़ने के बाद उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था.

यहां भी तबीयत में सुधार नहीं होने के बाद परिजन महिला को लेकर गांव लौट गए थे, जहां महिला की मौत हो गई.

इसी तरह कोरिया ज़िले के पंडोपारा में रहने वाले एसईसीएल के एक कर्मचारी की पत्नी को अपोलो में भर्ती किया गया था.

51 वर्षीय महिला की हालत बिगड़ती चली गई और उसने दम तोड़ दिया.

इधर बिलासपुर शहर में भी स्वाइन फ्लू के चार मरीज मिले हैं. इन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है.

जांजगीर-चांपा ज़िले में एक, जबकि पेंड्रा-मरवाही-गौरेला ज़िले में दो लोगों में स्वाइन फ्लू के वायरस पाए जाने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है.

हर बुखार में जांच जरुरी

बिलासपुर के सीएमएचओ डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव ने कहा है कि हर सर्दी-खांसी और बुखार में स्वाइन फ्लू की आशंका के मद्देनज़र जांच के निर्देश दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि कोरोना की ही तरह सतर्कता बरतने के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों में भी इस बीमारी के लक्षण मिलें, वो तुरंत अपनी जांच कराएं.

स्वाइन फ्लू क्या है?

सांस की यह बीमारी इंफ़्लुएंज़ा टाइप ए से होती है.

इस वायपस में जो जिंस पाया जाता है, वही सूअरों में भी पाया जाता है.

इसलिए इसे स्वाइन फ्लू कहते हैं.

इसे इंफ़्लुएंज़ा-ए यानी H1N1 कहा जाता है.

H1N1 की एक अन्य किस्म के कारण 1918 में महामारी भी फैल चुकी है.

दूसरे इंफ्लुएंजा की तरह इनका संक्रमण लगातार बदलता रहता है.

इस फ्लू के आंरभिक मामले 2009 में मैक्सिको में पाए गए थे.

उसके बाद से दुनिया के आधे से अधिक देश इसकी चपेट में आ चुके हैं.

खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है.

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