सभी काले धनधारियों का नाम बतायें
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: SC ने सरकार से कहा है कि बुधवार को विदेशों में काले धन रखने वाले सभी नाम एसआईटी को बतायें. इसके बाद एसआईटी इन नामों पर फैसला करेगी. सर्वोच्य न्यायालय के इस कड़े रुख से विदेशों में काला धन रखने वालों के नाम उजागार करने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को विदेश स्थित बैंकों में खाता रखने वाले उन लोगों के नामों का बुधवार तक खुलासा करने का निर्देश दिया. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार उन खाताधारकों की सूची पेश करे, जो फ्रांस, जर्मनी तथा स्विटजरलैंड की सरकारों ने उसे उपलब्ध कराया है.
गौरतलब है कि सोमवार को केन्द्र सरकार ने सर्वोच्य न्यायालय को केवल 3 तथा उनके सहयोगियों के नाम सूचित किये थे. जाहिर है कि इससे देश की राजनीति में तूफान आने की संभावना है. सोमवार को ही आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस ने आरोप लगाये थे कि सरकार कई नामों को छुपा रही है. वहीं, कांग्रेस ने इससे पहले गिने-चुने नामों को उजागार करने को ब्लैकमेलिंग की संक्षा दी थी.
सरकार द्वारा सोमवार को खुलासा किए गए नामों में शामिल हैं- डाबर समूह के प्रमोटर परिवार के सदस्य प्रदीप बर्मन, राजकोट के सोना-चांदी कारोबारी पंकज चिमनलाल लोधिया और गोवा की खनन कंपनी टिमब्लो प्राइवेट लिमिटेड तथा इसकी निदेशक राधा सतीश टिमब्लो, चेतन एस. टिमब्लो, रोहन एस. टिमब्लो, अन्ना सी. टिमब्लो और मलिका आर. टिमब्लो.
अदालत से सरकार ने कहा कि बर्मन की सूचना फ्रांस सरकार से तथा अन्य नाम की सूचना दूसरे देशों की सरकारों से मिली है.
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को दायर हलफनामे में कहा कि विदेशी सरकारों की तरफ से ऐसे भारतीय खाताधारकों की दी गई जानकारी व नामों को छिपा कर रखने की उसकी कोई मंशा नहीं है, जिन्होंने इन खातों में ऐसे धन रखे हैं, जिन पर कर का भुगतान नहीं किया गया है. कुछ रपटों के मुताबिक इससे संबंधित एक सूची में 780 नाम हैं.
सरकार ने कहा, “सरकार विदेशों में छुपे काले धन को सामने लाना चाहती है और इस मकसद को पूरा करने के लिए वह सभी वैधानिक और कूटनीतिक उपाय करेगी और सभी जांच एजेंसियों की मदद लेगी.”
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया था कि विदेशी बैंक में खोला गया हर खाता अवैध हो यह जरूरी नहीं. साथ ही नामों का खुलासा तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि गलत काम का को कोई प्रमाण न मिल जाए.
सरकार ने यह भी कहा था कि कार्यभार संभालने के बाद ही इसने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार, विदेशों में जमा किए गए काले धन की जांच के लिए 29 मई, 2014 को एक विशेष टीम गठित कर दी थी.
सरकार ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह अपने पुराने आदेश में संशोधन करे, जिसमें उन सभी के नाम सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था, जो सरकार को मार्च 2009 में जर्मनी से मिले थे और जिनके खाते लिचेंस्टीन के एलजीटी बैंक में हैं.
इस बीच, डाबर इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा कि उसके पूर्व निदेशक प्रदीप बर्मन ने विदेशी बैंक में खाता उस वक्त खोला था, जब वह अनिवासी भारतीय थे और उन्हें इसकी वैधानिक अनुमति मिली थी.
पंकज लोधिया ने विदेश में किसी खाता के होने से इंकार किया और कहा कि जो भी जरूरी जानकारी है, उन्होंने आयकर विभाग को दे दी है. उन्होंने कहा कि सरकारी सूची में अपना नाम देख कर वह हैरत में हैं.
गोवा की खनन कारोबारी राधा एस. टिमब्लो ने कहा कि वह पहले हलफनामे का अध्ययन करेंगी. उन्होंने कहा, “मैं अपनी प्रतिक्रिया सर्वोच्च न्यायालय में दूंगी.”
सरकार ने अदालत से यह भी कहा कि विभिन्न देशों से मिले सभी नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह उन सरकारों के साथ अपने समझौतों का उल्लंघन नहीं कर सकती है और पूरे सबूत के साथ पहले अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद ही नामों का खुलासा किया जा सकता है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, “समय से पहले और अदालत से बाहर नाम जाहिर करने से जांच प्रक्रिया प्रभावित होगी.”
सरकार की आलोचना करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने कहा, “सरकार को कई सवालों के जवाब देने होंगे. सरकार सभी नामों का खुलासा करने से कतरा रही है. इससे सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का पता चलता है.”
उन्होंने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जेटली ने कहा था कि कुछ नाम कांग्रेस पार्टी को लज्जित करेंगे. उन्होंने पूछा, “उन नामों का क्या हुआ? नेताओं के नामों का खुलासा क्यों नहीं किया गया?”
कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा ने भी कहा था कि सोमवार की कार्रवाई उस वादे के विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि खुलासा जल्दी किया जाएगा.
झा ने कहा, “भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर काला धन वापस लाया जाएगा.”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा था कि कुछ नामों को चुन कर खुलासा करना अनैतिक है. उन्होंने कहा, “सरकार को कानून के मुताबिक सभी नामों का खुलासा करना चाहिए.”
गौरतलब है कि देश के नागरिकों का कितना धन विदेशी बैंकों में जमा है, इस पर कोई औपचारिक आंकड़ा नहीं है. अनौपचारिक अनुमानों में 466 अरब डॉलर से 1,400 अरब डॉलर काला धन विदेशी बैंकों में जमा होनेकी बात की गई है.
उद्योग संघ एसोचैम ने हालांकि एक दिन पहले कहा था बिना आधार के नामों को सार्वजनिक करने से काले धन के खिलाफ जारी अभियान बेकार हो जाएगा.