मंदिर मुद्दा बातचीत से हल करे- SC
नई दिल्ली | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राम मंदिर का मुद्दा बातचीत से सुलझाये. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मुद्दे पर टिप्पमी करते हुये कहा कि बेहतर होगा कि इस मुद्दे को दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाये. जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता करने को तैयार हैं. कानून मंत्री तथा विश्व हिन्दु परिषद ने इसका स्वागत किया है. वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन समिति के एक सदस्य सैयद क़ासिम रसूल इल्यास कहते हैं, “बात-चीत का मतलब है सरेंडर”. उन्होंने बीबीसी से बातचीत करते हुये कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट (2010 का फैसला) का फैसला आने से पहले, प्रधानमंत्री वीपी सिंह के ज़माने में विश्व हिन्दू परिषद के साथ कई राउंड्स की बातचीत हुई लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.”
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा है कि राम मंदिर का मुद्दा कोर्ट के बाहर बातचीत से हल किया जाना चाहिये, और वही बेहतर रहेगा. कोर्ट के मुताबिक दोनों पक्ष इसके लिए वार्ताकार तय कर सकते हैं, जो विचार-विमर्श करें.
गौरतलब है कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर सुनवाई करे, और सुप्रीम कोर्ट को रोज़ाना सुनवाई कर जल्द फैसला सुनाना चाहिये. इस पर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि यह मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों पक्ष आपस में बैठें और बातचीत के ज़रिये हल निकालने की कोशिश करें. हालांकि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि दोनों समुदाय इस मुद्दे को लेकर हठी हैं, और साथ नहीं बैठेंगे.
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि इस मामले में ज़रूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट के जज भी मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर दोनों पक्ष आपसी बातचीत से कोई हल नहीं निकाल पाते, तो फिर कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर फैसला देने के लिये तैयार रहेगा, लेकिन फिलहाल दोनों पक्षों के सभी लोग टेबल पर बैठकर बातचीत करेंगे, तो ज्यादा अच्छा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 31 मार्च को फिर से मेंशन करने को कहा है.