छत्तीसगढ़ में अगस्ता खरीदी पर नोटिस
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर की खरीदी पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वराज अभियान के नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की एक याचिका के अलावा छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव व नितिन सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुये केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि जब केन्द्र सरकार द्वारा अगस्ता हेलीकाप्टर खरीदी की सीबीआई जांच कर सकती है तो छत्तीसगढ़ तथा अन्य राज्यों में उसी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर के खरीदी की जांच क्यों कर सकती.
बहस में यह कहा गया कि कई राज्य सरकारों ने वीवीआईपी हेलीकाप्टर को बिना किसी टेंडर के खरीदा था लेकिन किसी के खिलाफ भी जांच सीबीआई नहीं कर रही है.
छत्तीसगढ़ के मामले में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर के एक विशेष ब्रांड को खरीदने के लिये टेंडर जारी हुआ था. उन तीनों टेंडरों का एक ही व्यक्ति द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था. करीब 1 मिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम कमीशन के रूप में एक बैंक अकाउंट में जमा कराई गई थी जिसका इस डील से कोई संबंध नहीं था.
पनामा लीक्स के अनुसार बाद में जिस कंपनी शार्प ओसेन इन्वेस्टमेंट लिमिटेड को यह टेंडर मिला था उसे एक साल के भीतर बंद कर दिया गया था उसके एक माह पहले ही ‘अभिषेक सिंह’ के नाम से ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड में एक अकाउंट खोला गया था जिसमें पता कवर्धा, छत्तीसगढ़ का वह पता दिया गया था जिस पते को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने चुनाव के शपथ-पत्र में दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे दीपक मिश्रा तथा जस्टिस जे नागाप्पन की बेंच ने इस मामले में केन्द्र सरकार की सहायता मांगी है. मामले की अगली सुनवाई नवंबर 2016 के पहले सप्ताह में रखी गई है.
उल्लेखनीय है कि कैग ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अगस्ता ए-109 पावर हेलिकॉप्टर की खरीदी को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई थी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि अगस्ता कंपनी का ही हेलिकॉप्टर खरीदने के लिये एक खास ब्रांड और विशिष्ठ मॉडल का टेंडर बुला कर अधिक कीमत में खरीदी करना न तो किसी भी प्रकार से सहभागिता को बढ़ाता है और ना ही यह न्यायोचित है.
गौरतलब है कि इटली की अगस्ता वेस्टलैंड की मातृ संस्था फिनमैकेनिका के सीईओ गियुसिपी ओरसी की गिरफ्तारी के बाद यह राज सामने आया था कि अगस्ता वेस्टलैंड ने भारत सरकार को 12 एडब्ल्यू-101 हेलीकॉप्टर सौदे में तत्कालीन वायु सेना अध्यक्ष एसपी त्यागी समेत दूसरे लोगों को करीब 350 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी. इस मामले की सीबीआई जांच चल रही है.
इधर कैग की रिपोर्ट में यह सनसनीखेज मामला सामने आया कि छत्तीसगढ़ सरकार में शामिल अफसरों ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से ऐन-केन-प्रकारेण हेलिकॉप्टर खरीदी के लिये तरह-तरह की तिकड़में की. इसके लिये पहले तो सरकार ने ग्लोबल टेंडर बुलाने के बजाये सीधे अगस्ता वेस्टलैंड, इटली से ही हेलिकॉप्टर खरीदी का फैसला ले लिया और फिर जब बात नहीं बनी तो अगस्ता वेस्टलैंड, इटली के ही खास मॉडल का ग्लोबल टेंडर बुला कर उसी कंपनी को टेंडर दे दिया, जिससे पहले बिना टेंडर के खरीदी का निर्णय लिया गया था.
कैग की रिपोर्ट से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जनवरी 2007 में एक नया पावर हेलिकॉप्टर खरीदी का अनुमोदन करते हुये इसके लिये एक कमेटी भी बनाई थी.
मुख्यमंत्री रमन सिंह, राज्य के मुख्य सचिव और मुख्य सचिव वित्त, जो कि अतिरिक्त मुख्य सचिव जो उस समय ACS विमानन का भी पद देख रहे थे, इस कमेटी में शामिल थे. हेलिकॉप्टर खरीदी के लिये क्या विकल्प हो सकते हैं, इस पर विचार का जिम्मा कमेटी को दिया गया.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि यह सब होने के बाद भी स्टोर खरीदी नियमों से परे, टेंडर बुलाने के बजाये छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रीमंडल ने फरवरी 2007 में एक बैठक में इस बात का अनुमोदन किया कि ग्लोबल टेंडर नहीं बुलाये जाएंगे क्योंकि हेलिकॉप्टर एक विशिष्ठ उत्पाद है. इसके बाद मंत्रिमंडल ने कमेटी को अधिकृत किया कि अगस्ता ए-109 पावर हेलिकॉप्टर की निर्माणकर्ता अगस्ता-वेस्टलैंड इटली की एक भारतीय सेवा प्रदाता फर्म ओएसएस एयर मैनेजमेंट से जनवरी 2007 में प्राप्त प्रस्ताव पर मोलभाव करे.
मतलब ये कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उस समय जनवरी में ही तय कर लिया था कि उसे इटली की अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से ही हेलिकॉप्टर खरीदना है. यही कारण है कि कमेटी बनने के बाद और मंत्रीमंडल की बैठक से पहले ही सरकार के पास अगस्ता कंपनी के स्थानीय सेवा प्रदाता ओएसएस एयर मैनेजमेंट फर्म का प्रस्ताव भी आ गया.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार हेलिकाप्टर को 63.15 लाख अमरीकी डॉलर में आपूर्ति किये जाने का प्रस्ताव था. इसमें 2 लाख अमरीकी डॉलर की प्रिमियम राशि थी. इस प्रस्ताव के अनुसार अगस्ता ए-109 पावर हेलिकॉप्टर की डिलिवरी अगस्त-सितंबर 2007 में इस शर्त के साथ होनी थी कि 31 जनवरी 2007 तक आपूर्ति आदेश दे दिया जाये और इसके साथ ही 35.97 लाख अमरीकी डालर का अग्रिम भुगतान भी मेसर्स शार्प ओशन इंवेस्टमेंट लिमिटेड, हांगकांग को कर दिया जाये, जो इस इलाके की अधिकृत डीलर थी.
दस्तावेज बताते हैं कि फरवरी 2007 में हांगकांग के डीलर से बातचीत के बाद डीलर प्रीमियम की रकम 2 लाख अमरीकी डॉलर को छोड़ने के लिये तैयार हो गया. मेसर्स शार्प ओशन इंवेस्टमेंट लिमिटेड, हांगकांग ने हेलिकॉप्टर को 61.25 लाख अमरीकी डॉलर यानी 25.31 करोड़ रुपये में देने के लिये अपनी सहमति दे दी.
इसके बाद डीलर ने सूचित किया कि खरीदी का अनुबंध छत्तीसगढ़ सरकार और निर्माणकर्ता अगस्ता वेस्टलैंड, इटली के बीच होगा और सितंबर 2007 तक डिलवरी मिल जायेगी. निर्माणकर्ता कंपनी ने अपना अनुबंध छत्तीसगढ़ सरकार के विमानन निदेशक को भेजते हुये स्पष्ट किया कि सरकार 29 मार्च 2007 तक इस अनुबंध को हस्ताक्षर करके भेजेगी, तभी छूठ का प्रस्ताव मान्य होगा. वित्तीय वर्ष 2007 के बाद अगर इस अनुबंध पर हस्ताक्षर हुये तो इस प्रस्ताव को रद्द मान लिया जायेगा.
इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंट को अप्रैल 2007 में लिखा कि उसने झारखंड सरकार को एक साल पहले जिस दर में हेलिकॉप्टर बेचा था, उसी दर पर छत्तीसगढ़ सरकार को भी हेलिकाप्टर बेचे. 2005-06 में झारखंड सरकार ने अगस्ता से ही 55.91 लाख अमरीकी डॉलर यानी 24 करोड़ रुपये में हेलिकॉप्टर की खरीदी की थी.
छत्तीसगढ़ सरकार की चिट्ठी के जवाब में अगस्ता वेस्टलैंड ने कहा कि मार्च में अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं होने के कारण कंपनी ने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया है.
छत्तीसगढ़ सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि अगस्ता के इस जवाब के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने मई 2007 में अगस्ता ए-109 पॉवर हेलिकॉप्टर की खरीदी के लिये ग्लोबल टेंडर बुलाये और एक बार फिर हांगकांग के उसी डीलर के साथ अक्टूबर 2007 में बढ़ी हुई कीमत 65.70 लाख अमरीकी डॉलर यानी 25.96 करोड़ में अनुबंध कर लिया. जाहिर है, सरकार ने उसी डीलर से बढ़ी हुई कीमत पर हेलिकॉप्टर की खरीदी करके जनता के पैसों की भारी बरबादी की.
कैग ने जब छत्तीसगढ़ सरकार से मई 2011 में जवाब-तलब किया तो सरकार ने सफाई दी कि कंपनी से झारखंड सरकार को आपूर्ति की गई कीमत यानी 24 करोड़ रुपये में हेलिकॉप्टर खरीदी के लिये पुनः बातचीत करने का निर्णय मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के निज सचिव, मुख्य सचिव वित्त व निदेशक विमानन ने 30 मार्च 2007 की बैठक में लिया था. चूंकि कंपनी उक्त कीमत पर हेलिकॉप्टर देने को राजी नहीं हुई, इसलिये सरकार ने पारदर्शिता बरकरार रखने के लिये हेलिकॉप्टर खरीदी का ग्लोबल टेंडर बुलाया.
राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट कैग ने टिप्पणी की थी कि सरकार की यह सफाई स्वीकार्य योग्य नहीं है. कैग ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ सरकार पहले प्रस्ताव को समय पर पूरा कर पाने में असफल रही. उससे पहले प्रथम बार में सरकार ने ग्लोबल टेंडर न बुलाने का निर्णय यह कहते हुये लिया था कि हेलिकॉप्टर एक विशिष्ठ उत्पाद है. इन सबके बाद एक खास ब्रांड और विशिष्ठ मॉडल का टेंडर बुलाना किसी भी प्रकार से न तो सहभागिता को बढ़ाता है और ना ही न्यायोचित है. सरकार ने इस प्रकार वही ब्रांड, वही मॉडल, उसी डीलर से उंची कीमत पर लेकर अतिरिक्त खर्च किया है.