मानवाधिकार कार्यकर्ता सुनीता पोट्टम गिरफ़्तार, कई मामलों में था वारंट
रायपुर | संवाददाता: बस्तर में आदिवासियों पर कथित पुलिस दमन के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाली बस्तर की सुनीता पोट्टम को बीजापुर पुलिस ने आज रायपुर से गिरफ़्तार कर लिया है.
पुलिस का कहना है कि सुनीता के ख़िलाफ़ 12 मामलों में स्थाई वारंट था. जिनमें से कई मामले बेहद गंभीर हैं.
बीजापुर पुलिस का कहना है कि ज़िले के विभिन्न थानों में हत्या, हत्या के प्रयास, आगजनी, लूट, भड़काउ भाषण, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले सुनीता के ख़िलाफ़ दर्ज हैं.
पुलिस का कहना है कि उन्हें कई अवसरों पर सम्मन और वारंट जारी कर अदालत में पेश होने के लिए कहा गया. लेकिन न तो वे अदालत में पेश हुईं और ना ही इन मामलों में उन्होंने जमानत ली.
बीजापुर पुलिस का दावा है कि सुनीता के ख़िलाफ़ माओवादी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप हैं. उनके ख़िलाफ़ गंगालूर ताने में 7, मिरतुर में 4 और बीजापुर में 1 मामले में स्थाई वारंट लंबित है.
25 वर्षीय सुनीता पोट्टम बीजापुर के कोरचोली गांव की रहने वाली हैं.
उनकी गिरफ़्तारी के बाद मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने एक बयान जारी कर सुनीता की गिरफ़्तारी का विरोध किया है.
पीयूसीएल ने एक बयान जारी कर कहा कि 2016 में, सुनीता पोट्टम ने बीजापुर जिले के कडेनार, पालनार, कोरचोली और एंड्री गांवों में 2016 में छह व्यक्तियों की न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
सुनीता पोट्टम छत्तीसगढ़ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की सक्रिय सदस्य हैं और 2015 से राष्ट्रीय महिला संगठन डब्ल्यूएसएस (यौन हिंसा और राज्य दमन के खिलाफ महिलाएँ) की सदस्य हैं.
पंचायत क़ानून का उल्लंघन करते हुए सड़कों की चौड़ीकरण के लिए बिना किसी ग्राम सभा के सैकड़ों फलदार पेड़ों को काटने के खिलाफ़ चल रहे कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करती रही हैं.
Hearing disturbing reports of the arrest of #Indian WHRD Sunita Pottam in Chhatisgargh, seemingly as a result of her peaceful advocacy for the protection of #Adivasi rights and against systemic violations. She should be released immediately @IndiaUNGeneva
— Mary Lawlor UN Special Rapporteur HRDs (@MaryLawlorhrds) June 3, 2024
इसके अलावा विभिन्न निजी कंपनियों द्वारा बस्तर में खनन के ख़िलाफ़ भी आंदोलनों का उन्होंने नेतृत्व किया है.
इस साल जनवरी में सुनीता पोट्टम ने मुटवेंडी में 1 जनवरी को कथित मुठभेड़ में छह महीने के बच्चे की मौत को उजागर किया था, जिसे पुलिस ने क्रॉस फायरिंग में मौत घोषित किया था.
पीयूसीएल ने अपने बयान में कहा है कि सुनीता पोट्टम ने हाल के महीनों में कथित नक्सली-पुलिस मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौतों के मामले भी उठाये थे.
पुलिस पर आरोप
सुनीता पोट्टम की गिरफ़्तारी की पहले भी कोशिश हुई है.
सुनीता पोट्टम ने आरोप लगाया था कि इसी साल 9 जनवरी को बीजापुर के गंगालूर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद के लिए बीजापुर अस्पताल पहुंची थीं तो कथित रुप से कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें मोटरसाइकिल में बैठा कर ले जाने की कोशिश की थी.
इस मामले को बस्तर के आईजी सुंदरराज पी के संज्ञान में लाया गया था और सुनीता पोट्टम ने जगदलपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस में भी इस गिरफ़्तारी की कोशिश को लेकर सवाल उठाए थे.