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सुमित्रा महाजन: पार्षद से लोकसभाध्यक्ष

भोपाल | एजेंसी: देश की 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनी सुमित्रा महाजन की पहचान एक गंभीर और शांत स्वभाव के राजनेता की रही है. उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पार्षद के तौर पर की और फिर आठ बार सांसद चुनी गई, अब वे सर्वसम्मति से लोकसभा की अध्यक्ष बनी हैं.

महाजन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 39 वर्ष की आयु में 1982 में की, जब वे इंदौर की पार्षद और उप महापौर बनी. उसके बाद उन्होंने 1989 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. तभी से वे लगातार आठ बार इंदौर से निर्वाचित होती आई हैं.

सुमित्रा महाजन वर्ष 1999 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री रहीं तथा मानव संसाधन, संचार एवं प्रौद्योगिकी तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस जैसे विभिन्न मंत्रालयों का प्रभार संभाला.

वकील से राजनेता बनीं सुमित्रा की पहचान सरलता, ईमानदारी और साफ छवि के नेता की है. वे चुनाव में जीत के शानदार रिकॉर्ड के लिए भी जानी जाती हैं. उन्होंने एक सक्रिय सांसद के रूप में केवल महत्वपूर्ण समितियों का ही नेतृत्व नहीं किया है, बल्कि वह सदन के भीतर अच्छी बहस करने वाली और एक उत्साही प्रश्नकर्ता भी रही हैं. इसके अलावा वे सभापति समिति की सदस्य भी रही हैं.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी मानते हैं कि सुमित्रा महाजन सदन का बेहतर तरीके संचालन करने में सफल रहेंगी, क्योंकि उन्होंने समिति के सदस्य के तौर पर कई बार अध्यक्षीय आसन पर बैठकर इस जिम्मेदारी को निभाया है.

राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुमित्रा महाजन को लोकसभा का अध्यक्ष बनाए जाने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि इंदौर की जनता ने उन्हें जिताकर भेजा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इंदौर की जनता की भावनाओं का सम्मान किया.

सौम्य व्यवहार करने वाली सुमित्रा महाजन एक ऐसी राजनेता के रूप में उभरी हैं, जिन्होंने 1989 में इंदौर से सांसद बनने के बाद से कभी हार का मुंह नहीं देखा, यह बात अलग है कि उन्हें सांसद बनने से पहले इंदौर विधानसभा चुनावों में तीन बार हार का सामना करना पड़ा था.

महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले के चिपलुन में 12 अप्रैल 1943 को जन्मीं सुमित्रा महाजन 1982 को इंदौर की नगर पार्षद बनी थीं. वे 1990 में मध्य प्रदेश में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष और 1998 में राष्ट्रीय महासचिव बनीं. वे वर्ष 2005 में भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख थीं.

सुमित्रा महाजन के संसदीय अनुभव पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि वह सांसद के तौर पर मानव संसाधन विकास की समितियों और मूल्य आधारित शिक्षा पर बनी उपसमिति की सदस्य रही हैं. इसके अलावा वे औषधि नियंत्रण की उपसमिति की संयोजक रही हैं. वे महिला सशक्तीकरण की संयुक्त समिति और महिलाओं से जुड़े कानूनों के मूल्यांकन पर बनी उपसमिति से भी जुड़ी रही हैं. सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण पर बनी समिति और ग्रामीण विकास की स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रही हैं.

महाजन का विवाह इंदौर के वकील जयंत महाजन से हुआ और इनके दो बेटे हैं. उनकी रुचि मराठी साहित्य, कविता और नाटक में है. वे कई सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ी हैं. भाजपा नेता महिला कल्याण और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. वे मध्यप्रदेश में मराठी अकादमी की पूर्व अध्यक्ष, इंदौर में अहिल्या उत्सव समिति और समकालीन अध्ययन केंद्र की प्रमुख और इंदौर-पारसपुर सहकारी बैंक एवं महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक की पूर्व निदेशक रही हैं.

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