जन सुरक्षा अधिनियम के तहत 7 गिरफ्तार
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम के तहत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सोमवार को छत्तीसगढ़ के बस्तर के सुकमा पुलिस ने हैदराबाद के 6 लोगों तथा खम्मम के 1 व्यक्ति को छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है. सुकमा पुलिस ने इन्हें सोमवार को ही अदालत में पेश किया जहां से इन्हें छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा 8 के (1) (2) (3) (5) के तहत जेल भेज दिया गया है.
पुलिस द्वारा इन पर 25 दिसंबर को छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में नक्सली प्रचार-प्रसार, नक्सलियों के लिये सुविधा उपलब्ध कराने तथा पुलिस एवं प्रशासन के प्रति विरोध करने प्रेरित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
इनमें हैदराबाद के रहने वाले सीएच प्रभाकर, बी दुर्गा प्रसाद, के राजेन्द्र प्रसाद, डी प्रभाकर, बी रविन्द्रनाथ, मो. नजीर तथा खम्मम के आर लक्ष्मैया शामिल हैं.
इनकी गिरफ्तारी पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के छत्तीसगढ़ राज्य समिति के सचिव नेता संजय पराते का कहना है कि इन सभी को काले कानून, यानि की जन सुरक्षा अधिनियम की भेंट चढ़ा दिया गया है. संजय पराते की मानें तो सभी तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम के सदस्य हैं, और बस्तर में पिछले दिनों हुई मुठभेड़ों की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग टीम के रूप में बस्तर आये हुये थे.
उन्होंने कहा कि विनायक सेन के बाद विवादास्पद जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ़्तारी का ये दूसरा बड़ा मामला है.
उधर, पीयूसीएल के राज्य अध्यक्ष लाखन सिंह ने आरोप लगाया है कि बस्तर में हो रहे फर्जी मुठभेड़ों की जांच करने आ रहे दल को खम्मम में गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया है.
हार्ट सर्जरी के बाद बस्तर पहुंचे आईजीपी एसआरपी कल्लूरी ने समाचार पत्रों के हवाले से कहा है कि ये लोग सफेदपोश नक्सली हैं तथा नक्सलियों के नोट बदलवाने लंबे समय से ग्रामीणों पर दबाव बना रहे थे. तेलांगना पुलिस से मिली पुख्ता सूचना के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है.
गौरतलब है कि डॉ. बिनायक सेन को 14 मई 2007 को बिलासपुर से इसी छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत गिरफ्तार किया गया था तथा सजा सुनाई गई थी. उसके बाद 15 अप्रैल, 2011 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विनायक सेन को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था.
तेलंगाना के सिविल लिबर्टी कमेटी के सचिव एन नारायाणदेव ने बताया कि ये लोग 24 दिसंबर को हैदराबाद से रवाना हुये थे तथा उन्हें 25 दिसंबर को तेलंगाना में हिरासत में ले लिया गया. बाद में तेलांगना पुलिस ने इन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया.