कलारचना

अमिताभ- ‘संघर्षो का सिकंदर’

नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: अमिताभ बच्चन सही मायनों में ‘संघर्षो का सिकंदर’ हैं. उन्होंने संघर्ष करके बॉलीवुड में अपना स्थान बनाया है. अमिताभ ने ‘सात हिन्दुस्तानी’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी. यह न तो चली और न ही इसने अमिताभ को कोई पहचान दिलाया. इसके बाद भी अमिताभ ने हार नहीं मानी तथा प्रसिद्ध लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास के हकने पर उन्हें फिल्म ‘आनंद’ में सह अभिनेता को किरदार मिला. ‘आनंद’ में डॉक्टर बने अमिताभ ने वह छाप छोड़ी कि उसकी तुलना उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना से किया जाने लगा. अमिताभ को पहली सफलता फिल्म ‘जंजीर’ से मिली थी. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सांवले रंग और लंबे कद से दुनिया को अपना दीवाना बनाने वाले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिन सब के लिए खास है. उन्होंने कई दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज किया है.

उनकी कड़ी मेहनत और उत्साह ने उन्हें आज उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां पहुंचने का सपना उन्होंने कभी संजोया न था. इलाहाबादी अमिताभ संघर्ष कर बॉलीवुड का शहंशाह बनने का जीता-जागता उदाहरण हैं.

अमिताभ बच्चन के संघर्ष और सफलता की कहानी जितनी आश्रचर्यजनक है, उतनी ही रोमांचक भी, जितनी अविश्वसनीय है, उतनी ही सम्मोहक भी. अमिताभ आज 72 साल के हो गए हैं लेकिन आज भी उनमें काम करने की लगन वही देखी जा सकती है. वह आज भी काम को लेकर उतने ही उत्साहित हैं.

अमिताभ का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में हुआ. बच्चन कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं. प्रसिद्ध हिंदी कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन उनके पिता थे. उनकी मां तेजी बच्चन को थिएटर में गहरी रुचि थी, फिर भी उन्होंने घर संभालना ही पसंद किया. वर्ष 2003 में अमिताभ के सिर से पिता का साया उठ गया, जबकि उनकी मां ने 21 दिसंबर 2007 को उन्हें अलविदा कहा. उनका मां के प्रति हमेशा से गहरा लगाव रहा.

अमिताभ का अर्थ है ‘कभी न बुझने वाली लौ’ और उन्होंने अपने नाम का अर्थ सार्थक कर दिखाया. अमिताभ ऐसा नाम है, जिन्हें आज की युवा पीढ़ी ही नहीं, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियां अपना आदर्श मान सकती हैं. उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में प्रमुख व्यक्ति बनने के लिए संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा.

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में कई उपहास सहने पड़े. उन्हें कुछ फिल्मों से तो सिर्फ उनके लंबे कद की वजह से हाथ धोना पड़ा. उनकी अवाज को लेकर भी मजाक उड़ाया गया. ‘जब-जब जग उस पर हंसा है, तब तक इतिहास रचा है’ उन्होंने यह सच कर दिखाया. लंबा कद और बुलंद आवाज उन्हें सबसे खास बनाती है. उन्होंने बॉलीवुड में ‘बाबुल’ जैसी फिल्म में किसी दूसरे को अपनी आवाज भी दी है.

कहते हैं कि कागज अपनी किस्मत से उड़ता है, लेकिन पतंग अपनी काबलियत से उड़ती है. दोस्तों अमिताभ जी को पतंग कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने अपनी कामयाबी से दुनिया को जीत लिया.

अमिताभ बच्चन की शादी अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुई. उनसे उनकी पहली मुलाकात पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में हुई थी. अमिताभ की एक बेटी श्वेता नंदा और बेटा अभिषेक बच्चन हैं. दोनों की शादी हो गई है. अमिताभ का एक नाती, एक नातिन और एक पोती आराध्या भी है.

अभिताभ ने हिंदी सिनेमा में ‘जंजीर’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘खुदा गवाह’, ‘कुली’, ‘कुंवारा बाप’, ‘फरार’, ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘कसमें वादे’, ‘त्रिशूल’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मि. नटवरलाल’, ‘काला पत्थर’, ‘दोस्ताना’, ‘सिलसिला’, ‘शान’, ‘लावारिस’ और ‘शक्ति’ जैसी मशहूर फिल्मों में काम किया. इसके अलावा उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कई रियलिटी शो से भी दर्शकों को अपना दिवाना बनाया. अमिताभ ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं.

उन्होंने अपने जीवनकाल में खूब सुर्खियां बटोरीं. वह अभिनेत्री रेखा के साथ रिश्ते को लेकर भी चर्चा में रहे. बताया जाता है कि रेखा दिल ही दिल में अमिताभ को चाहती थीं, लेकिन अमिताभ कभी इस रिश्ते को लेकर आगे नहीं बढ़े.

युवा उनके आदर्शो को लेकर जीवन में आगे बढ़ने के सपने संजो सकते हैं, क्योंकि वक्त कब, कहां, किसका कैसे बदल जाए यह कोई नहीं बता सकता. जिस तरह अमिताभ ने अपने जीवन के कांटों को पार कर ऐसी जगह जा पहुंचे, जिससे वह सभी की आंखों का तारा बन गए हैं, वैसे ही हमें भी जीवन में उनके उदाहरण लेकर कठिन से कठिन राह को चुनकर उसे पार करना चाहिए.

राह में लाख कांटे आएं, लेकिन आपके पग डगमगाएं नहीं, यही प्रेरणा देता है महानायक का संघर्षमय जीवन. जिस अमिताभ को कभी लंबू कहकर ठुकरा दिया गया था वो ही अमिताभ आज बॉलीवुड की सबसे बड़ी हस्ती है. फिल्मों के अलावा रियलिटी शो तथा विज्ञापनों में भी अमिताभ की मांग है. 72 वर्ष का होने के बावजूद भी अमिताभ बॉलीवुड के भीड़ में अलग से पहचाने जाते हैं.

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