छत्तीसगढ़ में दिल्ली से पहले लोकपाल?
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ की रमन सरकार दिल्ली प्रदेश से पहले सशक्त लोकपाल के लिए पहल कर सकती है. छत्तीसगढ़ लोक आयोग राज्य सरकार को सशक्त लोकपाल का प्रस्ताव भेज चुकी है, जिसमें एसीबी और ईओडब्ल्यू को आयोग के अधीन करने की सिफारिश की है.
यह प्रस्ताव अभी मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास लंबित है. उपसमिति यदि सिफारिश करती है तो मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है.
रमन सरकार ने हाल ही में बिहार की तरह भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों की संपत्तियों को राजसात करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री ने शनिवार को ही प्रमुख सचिव एवं एक बड़े अफसर को हटाकर यह संकेत भी दे दिया है कि दागदार अफसर अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अजीत जोगी के शासनकाल में एंटी करप्शन ब्यूरो या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की शक्ति सीमित कर दी गई थी. इसलिए लोक आयोग भी केवल सिफारिश ही करता रहा. हाल ही में पूर्व लोकायुक्त एल.सी. भादू ने विधानसभा में सौंपे गए प्रतिवेदन में इसे नख और शिख विहीन जांच आयोग ठहराया था.
छत्तीसगढ़ लोक आयोग के लोकायुक्त तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शंभूनाथ श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा केंद्र के लोकपाल का अध्ययन कर प्रदेश में सशक्त लोकपाल बनाने का प्रस्ताव मंत्रिमंडलीय उपसमिति को भेज दिया है.
ज्ञात रहे कि सरकार ने प्रेमप्रकाश पांडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया है. इधर, सामान्य प्रशासन विभाग के विशेष सचिव डी.डी. सिंह ने स्वीकार किया है कि प्रस्ताव मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास विचाराधीन है.
सूत्रों के अनुसार, उपसमिति इन प्रस्तावों पर विचार कर यह रिपोर्ट मंत्रिमंडल की बैठक में पेश कर देगी. यदि सब कुछ सही चला तो दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के विधेयक लाने से पहले छत्तीसगढ़ में सशक्त लोकपाल की नियुक्ति का रास्ता साफ हो सकता है.