राष्ट्र

पुलिस से जबरन मेरा नाम कहलाया गया: आजम

लखनऊ | एजेंसी: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता तथा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान सीडिया को बताया कि “मेरा राज्य की हिंसा की किसी घटना में हाथ नहीं है. अगर मैं दोषी हुआ तो किसी भी सजा के लिए तैयार हूं.”

गौर तलब है कि एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में बात सामने आई है कि सूबे के एक मंत्री के इशारे पर ही शुरुआत में दोहरे हत्याकांड के आरोप में हिरासत में लिए गए सात आरोपियों को छोड़ा गया. पुलिस की इस एकतरफा कार्रवाई के बाद ही दूसरे समुदाय में गलत संदेश गया और इसके बाद ही बड़े पैमाने पर हिंसा फैल गई.

आजम ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने किसी अधिकारी को फोन नहीं किया. मेरे फोन के कल के विवरण की जांच की जा सकती है.” स्टिंग ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए आजम ने कहा, “स्टिंग ऑपरेशन देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे पुलिस अधिकारियों के मुंह से जबरन मेरा नाम निकलवाया गया.”

जब उनसे पूछा गया कि क्या यदि मुजफ्फरनगर के अफसरों द्वारा सूझबूझ से कदम उठाये जाते तो हिंसा को रोका जा सकता था़, इस सवाल पर आजम ने कहा, “मैं इस पर टिप्पणी करने में सक्षम नहीं हूं. जाहिर है जो बेहतर समझा गया होगा वही किया गया होगा.”

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि चैनल ने जो खुलासा किया है उसमें मुजफ्फरनगर के एसपी क्राइम, जानसठ तहसील के सीओ के अलावा फुगाना थाने के एसआई, मीरापुर के एसएचओ और भोपा के इंस्पेक्टर ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इन खुलासों के बाद अब सरकार को बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

उन्होंने कहा, “सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खान के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराना चाहिए. खुलासे के बाद यह साबित हो गया है कि उनके इशारे पर ही सब कुछ किया गया. दंगे के पीड़ितों को न्याय तभी मिलेगा जब आजम खान के खिलाफ मामला दर्ज होगा.”

उधर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन में जिस कद्दावर मंत्री का नाम आ रहा है उसे मुख्यमंत्री अखिलेश मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाएं और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले से ही मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा को लेकर परेशान थे. अब स्टिंग आपरेशन की सीडी प्रकाश में आने से वे विपक्षी दलों को उन पर आरोप लगाने का मौका मिल गया है.

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