छत्तीसगढ़

मील का पत्थर साबित होगा स्टेमसेल इलाज

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के रायपुर एम्स में स्टेमसेल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत मंगलवार को हुई. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पांडेय ने कहा कि स्टेमसेल से बीमारियों का इलाज मील का पत्थर साबित होगा.

डॉ. पांडेय ने कहा कि स्टेमसेल को एडवांस तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लाइलाज बीमारियों में भी काम आ रहा है. छत्तीसगढ़ में सिकलसेल एक बड़ी समस्या है. इसके उपचार के लिए भी स्टेमसेल कारगर है.

इस सम्मेलन में देशभर के 250 से 300 विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं. ‘स्टेमसेल एंड रिजनरेटिव मेडिसिन’ विषय पर 14 वक्ता दो दिन चर्चा करेंगे. शाम को मेडिकल छात्रों का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा.

एम्स में एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डी.के. शर्मा ने बताया कि पूरी दुनिया में स्टेमसेल पर नित नए शोध हो रहे हैं. स्टेमसेल से ब्रेन, पैरालिसिस, हार्ट अटैक, सिकलसेल, कैंसर व डायबिटीज ठीक हो रहे हैं.

स्टेमसेल पर वर्तमान में क्या एडवांस तकनीक आ गया है या भविष्य में इसकी क्या संभावनाएं हैं, इसी विषय पर विशेषज्ञ मंथन करेंगे.

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