हर राज्य बनाए अलग कृषि नीति: मोदी
अहमदाबाद | एजेंसी: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश के हर राज्य की अपनी अलग कृषि निर्यात नीति होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने देश से कहा कि कृषि के मोर्चे पर बड़ी सोच की जरूरत है. मोदी वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक कृषि सम्मेलन में मोदी देश भर के किसानों को संबोधित कर रहे थे.
दो दिवसीय सम्मेलन में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी शामिल हुए. उन्होंने मोदी से कहा कि वह खुद को गुजरात की सीमा में ही सीमित नहीं रखें. उन्होंने पहले दिए अपने भाषण में मोदी से कहा, “आप खुद को गुजरात तक ही सीमित क्यों रख रहे हैं?”
सम्मेलन में बादल ने जहां मोदी को ‘देश का महान नेता’ कहा, वहीं मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्णन कुसमारिया ने मोदी को ‘भारत का भविष्य’ कहा.
मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक साल पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 500 शहरों को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए चुने जाने की सलाह दी थी ताकि वहां से आसपास के क्षेत्रों में खाद का वितरण हो. उन्होंने कहा कि उन्होंने गुजरात में 50 शहरों का चुनाव कर इसे लागू करने का फैसला किया है.
मोदी ने कहा, “देश को कृषि के मोर्चे पर बड़ी सोच की जरूरत है. हर राज्य को अपनी कृषि निर्यात नीति बनानी चाहिए.” सम्मेलन में डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव, आयरलैंड, आस्ट्रेलिया, सेशेल्स, गैंबिया, मालावी, मेडागास्कर और बोलीविया के विशेषज्ञ और राजनयिक भी शामिल हुए.
उधर बादल ने मांग की कि कृषि उपज के लिए मूल्य निर्धारण करने वाली केंद्र सरकार की इकाई को स्वायत्त बनाया जाए. उन्होंने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइसेस (सीएसीपी) पर आरोप लगाया कि वह अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करते वक्त कभी राज्यों से सलाह-मशविरा नहीं करता है.
महात्मा मंदिर सभागार में उन्होंने कहा, “इस इकाई को स्वायत्त बनाया जाना चाहिए.” इसी सम्मेलन में सीएसीपी के प्रमुख अशोक गुलाटी भी मंच पर मौजूद थे.
बादल ने कहा, “सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं करना चाहिए. स्वायत्त इकाई में किसानों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए.” उन्होंने सीएसीपी और केंद्र सरकार पर किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं देने का आरोप लगाया.
उन्होंने गुलाटी की ओर देख कर कहा, “क्या आपका फैसला सही है? क्या आपको पता है कि डीजल और अन्य सामग्रियों की कीमत कितनी बढ़ गई है.” उन्होंने कहा, “मूल्य पर हमसे कभी पूछा भी नहीं जाता है.”
बादल ने केंद्र सरकार की इस सलाह की आलोचना की कि जल स्तर नीचे चले जाने के कारण पंजाब के किसानों को चावल की खेती छोड़ देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “यह कहना आसान है कि धान मत उगाइए. लेकिन जब कृषि क्षेत्र में संकट था, तब किसानों से धान की खेती करने के लिए कहा गया था. अब जब किसान संकट में हैं, तो क्या सरकार को उनकी मदद नहीं करनी चाहिए?”