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जनजाति आयोग ने कहा-हसदेव में खनन के लिए भारी फर्ज़ीवाड़ा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने माना है कि हसदेव अरण्य के परसा कोल खदान के लिए फर्ज़ी कागजों के सहारे अनुमतियां हासिल की गई थी. आयोग ने जांच, पड़ताल और गवाहों के बयान के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. आयोग ने अपनी जांच में पाया कि कोयला खनन के लिए कंपनी ने सारे दस्तावेज़ों में भारी हेरफेर और फर्जीवाड़ा किया है. यहां तक कि कंपनी ने दस्तावेज़ों में मर चुके लोगों के भी हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान लगवा दिए हैं.

इसके बाद आयोग ने सरगुजा के कलेक्टर को पत्र लिख कर, वनों की कटाई पर रोक लगाने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

आयोग ने इस मामले में प्राप्त शिकायत के बाद 10 सितंबर को सरगुजा में सुनवाई का उल्लेख करते हुए अपने पत्र में लिखा है कि समस्त दस्तावेज़ों के परीक्षण और सभी पक्षों के कथन से स्पष्ट हुआ कि परसा कोयला खदान के लिए 27 जनवरी 2018 को साल्ही में और 24 जनवरी 2018 को हरिहरपुर में जो ग्रामसभा आयोजित की गई थी, उसमें ग्रामवासियों ने ज़िला पंचायत द्वारा भेजे गए एजेंडा 1 से 21 तक के प्रस्ताव पर ही चर्चा एवं सहमति पारित किया गया था.

आयोग ने लिखा है कि आयोग की सुनवाई में उपस्थित ग्राम सभा के अध्यक्ष, तत्कालीन सरपंच, वर्तमान सरपंच, पंचायत के सचिव ने प्रस्ताव क्रमांक 21 तक होने की पुष्टि की और 22वें नंबर पर लिखे प्रस्ताव को ग़लत एवं कूटरचित बताया.

आयोग ने अपनी जांच के बाद कहा कि ग्राम सभा की कार्यवाही पंजी में सभा के समापन और उसमें हस्ताक्षर उपरांत ‘कोल ब्लॉक प्रारंभ किए जाने बाबत’ प्रस्ताव को सभा संपन्न होने के पश्चात लिखा गया है. ग्राम पंचायत के सचिव ने इसे रेस्ट हाऊस में लिखे जाने की बात सार्वजनिक तौर पर स्वीकार की है.

खनन कंपनी ने मृत व्यक्ति का भी हस्ताक्षर कर दिया

आयोग ने अपने पत्र में लिखा है कि ग्राम साल्ही की ग्राम सभा की उपस्थिति पंजी में उपस्थित ग्रामवासियों की संख्या 150 है. लेकिन खनन कंपनी ने इस संख्या को 450 कर के केंद्रीय वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा. यहां तक कि ग्राम घाटबर्रा में उपस्थिति पंजी में दिलबंधु नामक व्यक्ति का हस्ताक्षर, अंगूठे का निशान दिखाया गया है, जिसकी मृत्यु 28.06.2016 को हो चुकी थी.

आयोग ने लिखा है कि ग्राम हरिहरपुर की सभा में 95 ग्रामवासी उपस्थित थे. इसे कंपनी द्वारा 195 कर के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया गया.

अपनी जांच के बाद आयोग ने कहा कि घाटबर्रा के आश्रित ग्राम फतेपुर की ग्राम सभा की अध्यक्षता निर्वाचित पंच रघुनाथ सिंह द्वारा की गई. जो नियम विरुद्ध है. इस तरह ग्राम सभा स्वमेव असंवैधानिक होने से शून्य हो जाती है.

कोयला खदान के लिए घाटबर्रा की ग्राम सभा का उल्लेख करते हुए आयोग ने कहा है कि ग्राम सभा में 132 लोग उपस्थित थे. लेकिन खनन कंपनी द्वारा केंद्रीय वन मंत्रालय को जो कार्यवाही पंजी भेजी, उसमें ग्रामवासियों की उपस्थिति 482 दिखाई गई है. इसी ग्राम सभा में वन एवं राजस्व भूमि के अनापत्ति के संबंध में, प्रस्ताव कूटरचित तरीके से लिखा गया है और उपस्थित ग्रामवासियों की संख्या के साथ भी फेरबदल किया गया है.

आयोग ने लिखा है कि कंपनी ने खनन के लिए महिला आदिवासी सरपंच और मनोनीत ग्राम सभा अध्यक्षों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हुए कूटरचित, फर्जी तरीके से तैयार किए गए प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए अनुचित तरीके से दबाव बनाया, जो अनुसूचित जनजाति प्रताड़ना में आता है.

आयोग ने कहा कि कंपनी ने 10 सितंबर 2024 की सुनवाई में जवाब देने के लिए 10 दिन का समय मांगा था लेकिन पर्याप्त समय देने के बाद आज तक कंपनी ने जवाब नहीं दिया.

आयोग ने कहा कि इलाके में वन अधिकार की प्रक्रिया अपूर्ण है एवं ग्रामसभाओं की प्रक्रिया भी फर्ज़ी एवं कूटरचित है. इसलिए परसा कोल ब्लॉक को जारी की गई वन स्वीकृति शून्य किया जाए.

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