बस्तर

सोनी सोरी को जमानत

जगदलपुर: माओवादियों से सांठगांठ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोनी सोरी को जमानत दे दी है. सोनी सोरी पर एस्सार समूह से ‘सुरक्षा के बदले पैसे वसूलने’ के आरोप हैं. हालांकि एस्सार समूह माओवादियों को किसी तरह की रकम देने से इनकार करता है.

सोनी सोरी के साथ उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी को भी जमानत मिल गई है.

सोनी सोरी के वकील कोलिन गोंजालविस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अवधि के दौरान सोनी सोरी और उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी को छत्तीसगढ़ में प्रवेश नहीं करने के निर्देश भी दिये हैं.

सोनी सोरी की जमानत पर टिप्पणी करते हुये सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा कि यह एक सुखद स्थिति है. उन्होंने कहा- “हम जानते हैं कि उन्हें फर्जी तरीके से गिरफ्तार किया गया और मुकदमें दर्ज किये गये. वे सभी मामले में निर्दोष साबित होंगी.”

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका, सोनी सोरी को पांच अक्तूबर 2011 को क्राइम ब्रांच और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था. उनपर माओवादियों के साथ संबंध होने के आरोप है.

सोनी सोरी का मामला तब चर्चा में आया, जब अक्तूबर 2011 में कोलकाता के एक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने सर्वोच्च अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सोरी के शरीर में कुछ बाहरी चीजें पाई गईं. लेकिन यह टीम यह नहीं तय कर पाई कि ये चीजें कैसे उनके जननांगों में डाली गईं.

सोनी सोरी के खिलाफ राज्य सरकार ने नक्सल गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ आठ अलग-अलग मुकदमे दर्ज किये गये थे. इनमें से पांच मामलों में सोनी सोरी को पहले ही निर्दोष करार दे दिया गया है. इसके अलावा एक मामला दाखिल दफ्तर किया जा चुका है और एक मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है.

सोनी सोरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद मुलाकात करने और उनके मामले को उच्चतम अदालत तक पहुंचाने वाली छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की अधिवक्ता सुधा भारद्वाज ने कहा- “जिस तरह के अत्याचार सोनी सोरी पर हुये हैं, उसमें जमानत के अलावा बड़ा मुद्दा दोषी अफसरों पर कार्रवाई का भी है.”

0 thoughts on “सोनी सोरी को जमानत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!