like करने से पहले सोचें
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी तस्वीर को लाइक करने से आपके बने-बनाए संबंध में अवांछित मनमुटाव पैदा हो गया? हैरान न हों, क्योंकि ऐसा अक्सर देखा गया है. सोशल मीडिया इन दिनों संबंधों को खराब करने वाला दानव बन चुका है. मनोचिकित्सकों के अनुसार, सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय व्यतीत करना बने-बनाए संबंधों को खराब कर सकता है.
मोनोचिकित्सक आशिमा श्रीवास्तव ने कहा, “संबंधों के खत्म होने में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ती ही जा रही है, क्योंकि यह निजता को भंग करने वाला है. लगातार सोशल मीडिया साइटों पर सक्रिय रहने वाले अन्य लोगों को कम समय दे पाते हैं.”
फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने भी यही विचार व्यक्त किए और कहा कि सोशल मीडिया के कारण लोगों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं, जो संबंधों में दरार लाने वाला साबित हो रहा है.
राजधानी में ही सेवा दे रहे मनोचिकित्सक रिपन सिप्पी ने कहा, “सोशल मीडिया पर प्रसारित झूठी या आधी-अधूरी कहानियों के प्रभाव में आकर लोग अपने साथी से अव्यावहारिक अपेक्षाएं पाल लेते हैं और उन पर उसी तरह की अवास्तविक जीवन पद्धति अपनाने का दबाव डालने लगते हैं.”
सोशल साइटों का अत्यधिक इस्तेमाल करने से किसी रिश्ते की मूलभूत बातों, जैसे विश्वास, निजी राय और वैयक्तिक स्वतंत्रता में कमी आती है.
आशिमा के अनुसार, “किसने किसकी कौन सी तस्वीर साझा की, किसने कहां और क्या टिप्पणी की और यहां तक कि सोशल साइटों पर निजी चैट जैसी बातें संबंधों को खत्म करने वाली साबित होती हैं.”
सोशल साइटों पर मानसिक तौर पर अत्यधिक उलझाव के कारण लोग अपने साथी के विचारों को ज्यादा जगह नहीं दे पाते.
सिप्पी कहते हैं, “सोशल मीडिया पर होने वाली बातचीत में अत्यधिक थकावट और विषय से पृथकता जैसे मुद्दे भी लोगों के मस्तिष्क को जकड़ लेते हैं, ऐसे में कोई व्यक्ति कहीं शारीरिक तौर पर रहते हुए भी मानसिक तौर पर मौजूद नहीं रहता, क्योंकि उनके मस्तिष्क में कुछ और बातें घूमती रहती हैं.”
किसी की टिप्पणी पर मिलने वाले लाइक और टिप्पणियां उसे सोशल साइट पर दिन में अधिक से अधिक बार जाने के लिए उकसाती हैं.
फेसबुक जैसे सोशल साइटों के उपयोगकर्ता सोशल साइटों पर मौजूद अन्य लोगों की जोड़ी से अपनी जोड़ी की तुलना करते हैं और कई बार वे किसी प्रख्यात हस्ती तक से अपने साथी की तुलना करने लगते हैं, जिससे संबंधों की गर्माहट में कमी आने लगती है जो समस्याओं को जन्म देता है.
इस समस्या को स्मार्टफोन ने और बढ़ा दिया है और बेडरुम में वह ‘तीसरे व्यक्ति’ जैसी उपस्थिति रखने लगा है, जो पति-पत्नी के बीच रोमांस पनपने के लिए जरूरी निजता को खत्म कर देता है.