Social Media

तो अनुपम खेर उबल पड़ते

जितेंद्र | वाट्सऐप पर
एक बार प्रशांत भूषण ने टीवी डिबेट में इतना भर कहा था जबरन कश्मीर की जनता कभी हमारी नहीं हो सकती. तो सम्बित पात्रा सहित कई टूट पड़े, आप चाहते क्या हैं!! कश्मीर हमारा है हमारा रहेगा ये कर देंगे वो कर देंगे… प्रशांत भूषण ही क्यों आप शान्ति की बात करिये.. अंधे कथित राष्ट्रवादी आपको गद्दार घोषित कर देंगे.

आज मोदी बोले गोली से ना गाली से कश्मीरी हमारा होगा गले लगाने से!!

सोचिये कोई और कहता तो सोशल मीडिया मुल्ला पाकिस्तानी कहते रंग जाता भद्दी गालियों के साथ। अनुपम खैर, परवेश जैसे उबल उबल कर पड़ते.

सुषमा जी ने युद्ध को गलत बताते शान्ति की बात की. गुरमेहर ने युद्ध के खिलाफ बोला तो उस बच्ची का जीना हराम कर दिया धूर्त लुच्चों ने. कितने धूर्त हैं ये की 2 Oct, 30 Jan को गांधी को गालियों से सोशल मीडिया रंग देते हैं और मोदी के मुँह से गांधी के सपनो का भारत बनाएंगे सुन कर हांडी मे मुंह डाल लेते हैं। सिर्फ संघ संस्कार कट्टर वादियों की बात नहीं है!! आम जनता युवा भी झूठ के पुलिंदों, भाषण की थोथी गर्जनाओं पर मन्त्र मुग्ध हो जाते हैं!!

शुरुआत में मै सोचता था इतनी चमक-दमक, मॉडलों जैसे रहन सहन, करोड़ों के रोड शो, भव्यता देख एक आम भारतीय का इस पाखण्ड से मोह भंग हो जाएगा.. कि ये हजारों करोड़ प्रचार को, लाखों का कपड़ों पर खर्च “मै खाऊंगा ना खाने दूंगा” ढोंग पहचानेगा आम व्यक्ति और भ्रष्टाचार पर थोथे नारों का तिलिस्म टूटेगा!! पर अफसोस!! हम भारतीय आकर्षित ही ठाट बाट भव्यता से होते!! जितनी महंगी गाड़ियों चमचों का काफिला हम उसे ही जन नेता कहते!! क्यों?? आप राजनीति की बात करते हैं!!

उस धार्मिक बाबा के पांडाल में ही भीड़ मिलेगी जिसका पांडाल सबसे भव्य और सबसे ज्यादा होर्डिंग शहर में टँके हों!! कल्याण मोक्ष के लिए भी वो गुरु चाहिए जो सबसे लम्बी विदेशी गाड़ी से उतर प्रवचन देता हो कि ” मोह माया त्याग दो.” एक योगी का ढोंग करने वाले भोगी को हम CM, मंत्री,सांसद जननायक स्वीकार लेते हैं!! हमारे नैतिक मूल्य इतने गिरे हैं की इस पाखण्ड अथाह सम्पति वाले साधू नेताओं में जन कल्याण ढूंढते हैं.. जनता शायद इसलिए आकर्षित होती है की खुद वैसा ही ताकतवर धनी बन जाना अवचेतन में हमेशा विद्यमान रहता है।

ईमानदारी के प्रचार के लिए भी यहाँ सैंकड़ो करोड़ खर्च करना पड़ता है!! इससे अनैतिक मानसिकता शायद ही विश्व में कहीं हो। और तो और पीड़ा दर्द भी उसी के मुद्दा बनते जो चिल्ला सकता है, ताकतवर होता है, राजनैतिक जातिगत फ़ौज हो पीछे।

चंडीगढ़ में कुंडू के साथ जबरदस्ती लुच्चई की खबर राष्ट्रीय बन गयी थी, पूरा देश आंदोलित हुआ। आज उसी चंडीगढ़ में सुबह स्वतन्त्रता दिवस मनाने जाती 8 वीं क्लास की बच्ची का दिन दहाड़े बलात्कार हुआ. PM प्राचीर से लम्बी लम्बी हांक रहे थे स्वतन्त्रता दिवस पर और वो बच्ची दरिंदे के हाथों कुचली गयी, आजाद होने को असफल छटपटाती, ना अपराधी पकड़ा गया ना कोई राजनैतिक पार्टी, ना कोई समाज आंदोलित हुआ, ना सोशल मीडिया पर मुद्दा बना न रुका.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!