स्काईबस रद्द होने से आम जनता को घाटा: राजाराम
पणजी | एजेंसी: स्काईबस योजना को रद्द करने का कोंकण रेलवे का फैसला देश के आम लोगों के लिए नुकसानदायक है. यह बात इस उन्नत प्रौद्योगिकी के जनक कोज्जि राजाराम ने कही.
कोंकण रेलवे के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कोज्जि राजाराम ने कहा, “सभी अधिकार सरकार के पास हैं. वह जो चाहे कर सकती है. हमारा कुछ अधिकार नहीं है. देश के इंजीनियरों ने इस पर काम किया. लेकिन नुकसान में देश के लोग हैं.”
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 2003 में गोवा को यह परियोजना नव वर्ष पर भेंट की थी. तब से परियोजना यूं अधर में झूल रही है. पायलट परियोजना के तहत 10.5 किलोमीटर लंबे मार्ग से मपुसा को पणजी से जोड़ा जाना था.
गोवा के मडगांव स्टेशन के बाहर 10 मीटर की ऊंचाई पर 1.6 किलोमीटर लंबा परीक्षण पथ भारतीय इंजीनियरों की कुशलता का नमूना बन गया है. वातानुकूलित, दो कोचों वाले स्काई बस में इस्पात की संरचना के साथ बस का लचीलापन भी है.
कोंकण रेलवे के मौजूदा अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बी.पी. तयाल ने रविवार को कहा, “परियोजना को रद्द करना दुखद फैसला है. हमने पहले दो बार वैश्विक निविदा आमंत्रित की, लेकिन हमें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.”
तयाल ने कहा, “एक प्रौद्योगिकी समिति का गठन किया जाएगा, जो संरचना को हटाने का सुझाव देगा.”
राजाराम ने कहा कि मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अहमद बदावी ने खुद भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 2007 में पत्र लिखकर हैदराबाद में स्काईबस बनाने में मदद करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की सहायता देने की पेशकश की थी.
राजाराम ने कहा कि मलेशिया के प्रधानमंत्री ने हैदराबाद को इसलिए चुना था क्योंकि यह आविष्कारक (राजाराम) का गृह शहर है. लेकिन इससे कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया.
आईआईटी-खड़गपुर के पूर्व छात्र राजाराम ने कहा कि स्काईबस पर हर रोज करीब 60 लाख यात्री सवारी कर सकते थे. राजाराम के पास 17 अमेरिकी पेटेंट हैं, जिनमें एंटी-कॉलीजन डिवाइस, स्काईबस और ग्रैविटी पावर परिवहन भी शामिल हैं.
राजाराम के मुताबिक स्काईबस काफी सस्ता परिवहन साधन है. स्काईबस के लिए प्रति किलोमीटर मार्ग तैयार करने पर 60 से 75 करोड़ रुपये की लागत आती, जबकि मेट्रो के जमीन के ऊपर वाले इतने ही लंबे मार्ग पर 215 करोड़ रुपये और मेट्रो के इतने ही लंबे भूमिगत मार्ग के निर्माण पर 400 करोड़ रुपये खर्च होता है.
इसके अलावा स्काई बस परियोजना को 24 महीनों में चालू किया जा सकता है, जबकि मेट्रो परियोजना को चालू होने में पांच से सात वर्ष लग जाते हैं.