सीताराम येचुरी का निधन
नई दिल्ली | डेस्क: सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी नहीं रहे. गुरुवार को दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया. सांस लेने में परेशानी के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था.
पिछले कई दिनों से बीमार 72 वर्षीय सीताराम येचुरी को 19 अगस्त को एम्स के आईसीयू में भर्ती किया गया था. हालांकि उनकी सक्रियता बनी हुई थी. वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय थे.
लेकिन तीन दिन पहले उनकी स्थिति गंभीर हो गई. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
सीपीएम की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि कॉमरेड सीताराम येचुरी को सांस की नली में गंभीर संक्रमण हुआ है. डॉक्टरों की टीम उनका इलाज़ कर रही है. उनकी हालत पर नज़र बनाए हुए है.
लेकिन चिकित्सकों की कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति का एक जाना-माना चेहरा थे.
Sitaram Yechury ji was a friend.
A protector of the Idea of India with a deep understanding of our country.
I will miss the long discussions we used to have. My sincere condolences to his family, friends, and followers in this hour of grief. pic.twitter.com/6GUuWdmHFj
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 12, 2024
वे पिछले 50 सालों से भी अधिक समय से वामपंथी राजनीति से जुड़े हुए थे.
12 अगस्त, 1947 को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में जन्मे येचुरी के पिता इंजीनियर थे और मां सरकारी कर्मचारी थीं.
1969 के तेलंगाना आंदोलन ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली ला खड़ा किया, जहां वे जल्द ही छात्र राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हो गए.
वे तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. जेएनयू के छात्र नेता के तौर पर राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सीमाराम येचुरी भारत के उन बौद्धिक नेताओं में शामिल थे, जिनकी दुनिया भर में एक विशिष्ट पहचान थी.
आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया. लेकिन जेल से छूटने के बाद उनकी सक्रियता और तेज़ी से बढ़ी.
उनके करियर का सबसे उल्लेखनीय क्षण 1978 में था, जब येचुरी के नेतृत्व में एक विरोध प्रदर्शन ने इंदिरा गांधी को जेएनयू के चांसलर के पद से इस्तीफा देने में योगदान दिया.
2005 से 2017 तक येचुरी राज्यसभा के सदस्य भी रहे.
गुरुवार को उनके निधन के साथ ही भारतीय वामपंथी राजनीति का एक सूरज हमेशा-हमेशा के लिए डूब गया.
उनकी पत्नी सीमा चिश्ती, एक बेटे और बेटी ने येचुरी की इच्छा का सम्मान करते हुए, उनका शव अस्पताल को दान कर दिया है.