शेयर में $42 अरब निवेश
मुंबई | एजेंसी: देश के शेयर बाजारों के एक प्रमुख सूचकांक में वर्ष 2014 में करीब 30 फीसदी तेजी रही, जबकि एक साल पहले 2013 में इसमें नौ फीसदी तेजी रही थी.
नेशनल सेक्यूरिटीज डिपॉजीटरी लिमिटेड, एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों, एफपीआई ने शेयर बाजारों में 16.11 अरब डॉलर और शेयर तथा डेट बाजार में समग्र तौर पर 42.35 अरब डॉलर का निवेश किया.
विदेशी निवेशकों ने 2013 में 19.9 अरब डॉलर निवेश किया था.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 31 दिसंबर 2013 को 21,170.68 पर बंद हुआ था. 31 दिसंबर 2014 को यह 29.89 फीसदी या 6,328.74 अंक चढ़कर 27,499.42 पर बंद हुआ.
सेंसेक्स ने आलोच्य वर्ष में 28 नवंबर 2014 को 28,822.37 के ऊपरी और 4 फरवरी को 19,963.12 के निचले स्तर को छुआ.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 31 दिसंबर 2013 को 6,304 पर बंद हुआ. 31 दिसंबर 2014 को यह 31.38 फीसदी या 1,978.7 अंकों की तेजी के साथ 8,282.70 पर बंद हुआ.
पूरे साल भर में निफ्टी ने 8,626.95 के ऊपरी और 5,933.30 के निचले स्तर को छुआ.
कोटक सेक्यूरिटीज के प्राइवेट क्लाइएंट समूह शोध निकाय के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा, “आम चुनाव में एक पार्टी को स्पष्ट जनादेश निर्णायक क्षण साबित हुआ. सरकार ने आने वाले समय के लिए सुधार की आशा जगाई. इससे बाजार में तेजी आई.”
जायफिन एडवाजर्स के मुताबिक सेंसेक्स में सर्वाधिक तेजी दर्ज करने वाले शेयरों में एक्सिस बैंक 93.9 फीसदी, मारुति सुजुकी 89 फीसदी, भारतीय स्टेट बैंक 77 फीसदी और सीआईसीआई बैंक 61 फीसदी प्रमुख रहे.
सेंसेक्स के सिर्फ चार शेयर टाटा पावर 7 फीसदी, टाटा स्टील 6 फीसदी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और विप्रो में गिरावट रही.
वर्ष 2014 में बीएसई के उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु 69 फीसदी, वाहन 56 फीसदी और फार्मा 49 फीसदी में काफी अधिक तेजी दर्ज की गई. अवसंरचना और पूंजीगत वस्तु सेक्टरों में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं रही.
जियोजीत बीएनपी पारिबास के फंडामेंटल रिसर्च खंड के प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “फार्मा, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु एवं वाहन में सकारात्मक माहौल दिखा.”
अब तक रक्षा, रेलवे और चिकित्सा क्षेत्र में प्रमुखता से सुधार हुए हैं और रियल्टी, विनिर्माण और संबंधित उपक्षेत्रों में नियामकीय ढील दी गई है.
एंजल ब्रोकिंग में संस्थान खंड के प्रबंध निदेशक ललित ठक्कर ने कहा, “बाजार की चाल को देखने से स्पष्ट है कि बैंकिंग और अवसंरचना जैसे ब्याज दर संवेदनशील क्षेत्रों में एफपीआई ने निवेश किए हैं.”
आने वाले समय में निवेशकों की निगाह अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों, कच्चे तेल की कीमत, कंपनियों के तिमाही परिणामों और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा पर मुख्य रूप से टिकी रहेगी.