पवार ने छोड़ा मध्यावधि चुनाव का शिगूफा
रायगढ़ | एजेंसी: महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार ने राज्य में मध्यावधि चुनाव का शिगूफा छोड़ दिया है. उन्होंने राकांपा के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपने पार्टी के सदस्यों से मध्यावधि चुनाव के लिये तैयार रहने का संकेत दिया है. शरद पवार के इस शिगूफे से शिवसेना की राजनीति में नई जान आ गई है. जाहिर है कि भाजपा को अब अपने पुराने सहयोगी की जरूरत पड़ सकती है ताकि महाराष्ट्र में कोई राजनीतिक संकट न खड़ा हो जाये. वहीं, शिवसेना ने पवार के शिगूफे के बाद बयानबाजी शुरु हो गई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार की स्थिरता पर संदेह जताते हुए कहा कि राज्य में किसी भी समय मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. पवार ने अपनी पार्टी को निर्देश दिया कि मध्यावधि चुनाव की तैयारियां तत्काल शुरू कर दी जाएं, क्योंकि राज्य में भाजपा सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल पाएगी.
प्राचीन समुद्र तट पर स्थित अलीबाग रिसॉर्ट में पार्टी के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, “अगर भाजपा और शिवसेना एकसाथ आए होते तो सरकार स्थिर हो सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अगर अगले छह माह तक यही स्थिति बरकरार रहती है तो यह नए विधानसभा चुनाव का समय होगा.”
पवार की इस टिप्पणी के बाद शिवसेना ने त्वरित प्रतिक्रिया में कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर राज्य में भाजपा सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, शिवसेना के एकनाथ शिंदे और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक संकट के मामले में शिवसेना फडणवीस सरकार को समर्थन देने से नहीं हिचकेगी.
दोनों नेताओं ने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे करेंगे.
राज्य में किसी भी समय मध्यावधि चुनाव होने की संभावना जताते हुए पवार ने कहा कि राकांपा फडणवीस द्वारा पेश किए गए विश्वास मत के दौरान राकांपा तटस्थ रही. उन्होंने कहा कि राज्य में राजनैतिक स्थिरता की उम्मीद बहुत कम है.
पवार ने कहा, “हम सरकार की स्थिरता को लेकर आशान्वित नहीं हैं.”
पवार ने राकांपा नेताओं को विधानसभा क्षेत्रों पर ध्यान देने को कहा.
उन्होंने कहा, “राकांपा ने 41 सीटें जीती और 56 पर दूसरे स्थान पर रही तथा 51 सीटों पर तीसरे पायदान पर रही. इसका मतलब है कि हममें 148 सीटें जीतने की क्षमता है.” शरद पवार के बातो से जाहिर होता है कि सचमुच उनकी पार्टी मध्यावधि चुनाव के लिये तैयार होने जा रही है परन्तु महाराष्ट्र के राजनीति के जानकारों का मानना है कि कोई भी पार्टी मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती है तथा इसके इल्जाम को लेकर कौन पार्टी जनता के सामने जाने की हिमाकत कर सकती है.