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आंख से भी छोटा मेढक

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: हाल ही में वैज्ञानिकों ने ‘मिनियेचर मेढक’ की खोज की है. देश के पश्चिमी इलाकों में पाये जाने वाले इन छोटे मेढक मानव आंख से भी छोटे हैं. एक तो अंगूठे से भी छोटा है. नये पाये गये सभी चार मेढक निशाचर हैं तथा रात को ही पाये जाते हैं. रात के समय कीट-पतंगों के समान आवाज निकालने वाले ये मेढक केरल तथा तमिलनाडु में पाये गये हैं. दरअसल, ये दुर्लभ प्रजाति के मेढक हैं.

रात में पाये जाने वाले मेढकों का समूह निक्टीबाट्रेचस नाम से जाना जाता है. इस समूह में पहले से 28 मान्यता प्राप्त प्रजातियां हैं. इनमें से तीन का आकार 18 मिमी से भी कम है.

यह समूह भारत के पश्चिमी घाटों पर पाया जाता है. माना गया है कि ये प्रजाति 7-8 करोड़ साल पुरानी है. इनमें से अधिकांश नये मेढक मानव बस्ती से सटे सुरक्षित इलाकों में रहते है.

करीब 6 सालों की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने इन्हें दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट के वर्षा वनों से खोज निकाला है. चूंकि ये आकार में अत्यंत छोटे हैं तथा कीट-पतंगों के समान आवाज़ निकलते रहते हैं इसीलिये इतने दिनों तक कोजकर्ताओँ की नज़र से बचे रहे.

वैज्ञानिकों के अनुसार ये मेढक प्रचीन काल के हैं तथा इन्हें संरक्षित किये जाने की जरूरत है. वैज्ञानिकों का मानना है कि विकासवादी अध्ययन में ये मेढक बड़े उपयोगी साबित होंगे. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इनके डीएनए के अध्ययन से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती है.

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