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जैविक खेती के लिए धरमजयगढ़ के तीन गांवों का चयन

रायगढ़|संवाददाताः केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फॉर्मिंग के लिए छत्तीसगढ़ के धरमजयगढ़ ब्लॉक के तीन गांव पेलमा, कुमा और जमरगा का चयन किया गया है. इन तीनों गांवों के लगभग 125 एकड़ कृषि भूमि पर आने वाले सालों में जैविक खेती करने की तैयारी है. इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है.

केंद्र सरकार ने देश भर में प्राकृतिक तरीके से खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन एनएमएनएफ यानी नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फॉर्मिंग शुरू किया है. यह योजना किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेगी. इससे रसायन मुक्त भोजन मिलेगा. साथ ही किसानों की लागत कम होगी. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण और संसाधन भी दिए जाएंगे.

केन्द्र सरकार ने जैविक खेती के लिए छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से प्रस्ताव मांगा है. कृषि विभाग ने इस प्रकार की खेती के लिए धरमजयगढ़ ब्लॉक को अनुकूल माना है. क्योंकि यहां की जमीन और जलवायु जैविक खेती के लिए उपयुक्त है. नदी-नाला अधिक होने के साथ केमिकल और फर्टिलाइजर का इस्तेमाल काफी कम मात्रा में होता है.

इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए धरमजयगढ़ के तीन गांव जमरगा, पेलमा और कुमा का चयन किया गया है. यहां के करीब 125 एकड़ यानी लगभग 50 हेक्टेयर जमीन के आस-पास कोरजा नाला बहता है. पास ही नदी भी है.

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र 50 हेक्टेयर का एक कलस्टर होगा. इसमें आस-पास के और कई गांवों को शामिल किया जा सकता है. अधिक संख्या में किसान तैयार हो गए और 50 हेक्टेयर से जमीन ज्यादा होगी तो दूसरा कलस्टर भी बनाया जाएगा. एक कलस्टर में 5 लाख रुपये खर्च होगा.

नदी किनारे जमीन का चयन

जैविक खेती में कीटनाशक या रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता है. इसीलिए जैविक खेती के लिए नदी या नालों के पास की जमीन का चयन किया जाता है.

पहली प्राथमिकता तो ये होती है कि जैविक खेती वाली जमीन पर दूसरे खेतों का पानी नहीं आना चाहिए, लेकिन ऐसा बहुत कम संभव होता है.

इन परिस्थितियों में खेतों से पानी निकालने के लिए  खेतों के  किराने नाली बनाकर पानी की निकासी की व्यवस्था बनानी पड़ती है.

दरअसल नाले में खेतों का ही पानी बहकर पहुंचता है. ऐसे में यदि किसी खेत में केमिकल या फर्टिलाइजर डाला जाता है तो वह बहकर दूसरे खेतों में जाता है. इसी को रोकने के लिए ही नदी के किनारे जैविक खेती की जाएगी. जिसमें केवल प्रकृति प्रदत्त खाद का ही उपयोग किया जाएगा. यह दूसरे खेतों में बहकर जाएगा भी तो कोई नुकसान नहीं करेगा.

ज्यादा उत्पादन के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित

नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फॉर्मिंग के जरिए अब ज्यादा उत्पादन लेने की तैयारी है. साथ ही इस प्रकार की खेती से पर्यावरण को बचाने की कोशिश भी हो रही है.

इस मिशन का मकसद किसानों को रासायनिक खेती से दूर करके जैविक खेती की ओर ले जाना है.

इससे खेती की लागत भी कम आएगी और सुरक्षित और पौष्टिक भोजन भी अधिक मात्रा में उपलब्ध होगी.

जैविक खेती से मिट्टी की सेहत में भी सुधार होगा. फसल की लागत कम कर किसानों की आय बढ़ाने का उद्देश्य भी इसके साथ जुड़ा है.

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