गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होगी नक्सलगढ़ की बेटी सीमा
दंतेवाड़ा | संवाददाता: नक्सलगढ़ में पली-बढ़ी सीमा मुचाकी पीएम हाउस में छत्तीसगढ़ और बस्तर का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं. माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के मारजूम गांव से निकली बिटिया सीमा प्रधामंत्री आवास में सांस्कृतिक संगीत पर प्रस्तुति देगी. इतना ही नहीं, वह दिल्ली में आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस पर परेड का हिस्सा भी बनेंगी.
सीमा का दिल्ली तक पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. यह उपलब्धि न सिर्फ सीमा के लिए बल्कि उनके पूरे परिवार, समाज, गांव व बस्तर के लिए बड़ा मुकाम हासिल करने जैसा है.
सीमा का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली सीमा का यह सफर आसान नहीं रहा है. ताड़-पत्तर के घर में रहने वाले सीमा के परिवार की कहानी भी दर्द और संघर्ष से भरी हुई है.
सीमा मुचाकी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. वह जिस इलाके से आती हैं, वहां नक्सलियों के खौफ़ साथ ही यह डर लगातार बना रहता है कि कभी-भी पुलिस संदेह के घेरे में किसी को भी उठा सकती है. सीमा की बड़ी बहन इड़ो के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.
ईड़ो नक्सल मामले में दो वर्ष की सजा काटकर घर लौटी हैं. पुलिस ने सीमा की बड़ी बहन ईड़ो मुचाकी को प्रतिबंधित नक्सल संगठन का सदस्य बताया था. साथ ही कहा ईड़ो चेतना नाट्य मंडली (CNM) की अध्यक्ष हैं व इस पर एक लाख रुपए का ईनाम घोषित है. हालांकि अब वह न्यायालय से दोषमुक्त हो चुकी हैं.
ईड़ो ने चर्चा के दौरान बताया- वह उस वक्त घर में थीं, जब पुलिस आई और उन्हें पकड़कर अपने साथ ले गई. माओवादियों से उन्हें न तब मतलब था और न अब. बिना किसी दोष के दो साल तक जेल की यातना सहने वाली इड़ो के बरी होने पर उन्हें न तो सरकार की तरफ से कोई मुआवजा राशि दी गयी और न ही उन दोषियों पर कोई कार्यवाई हुई, जिन्होंने एक निर्दोष को जेल भेजने का काम किया.
बस्तर की यह कोई पहली घटना नहीं थी, जिसमें किसी निर्दोष को बेवजह जेल में ठूस दिया गया हो.
बहरहाल ईड़ो अपनी बहन सीमा मुचाकी के सफ़र को दिल्ली तक पहुंचता देख बहुत खुश हैं.
तमाम तरह की पारिवारिक परेशानियों को झेलते हुए आगे बढ़ने वालीं सीमा का कहना है कि उनकी बहन का नक्सल संगठन से कोई संबंध नहीं था. पुलिस ने उसे बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया था.
सीमा ने ऐसे बनाया अपना रास्ता
सीमा मुचाकी का शैक्षणिक जीवन भी कठिनाइयों से भरा रहा. वह गाटम आश्रम में रहकर पढ़ाई करती थीं. 2013 में वह जिले के नन्हे परिंदे स्कूल पहुंचीं और इसी दौरान उनका चयन बारसूर नवोदय विद्यालय के लिए हुआ. हालांकि, दस्तावेजों में कुछ त्रुटियों के कारण वह इस अवसर से वंचित हो गईं.
इसके बाद उन्होंने एकलव्य आवासीय विद्यालय, कटेकल्याण में दाखिला लिया और वहां से 12वीं तक की पढ़ाई की.
इसके बाद सीमा ने जिला प्रशासन द्वारा संचालित ‘छू लो आसमां’ योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की और पीईटी परीक्षा पास की. इसके बाद उन्हें सरकारी इंजीनियरिंग महाविद्यालय भिलाई में दाखिला मिला.
जहां वह तीन वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम में बी-टेक कर रही हैं. इसी कॉलेज से सीमा एनएसएस से जुड़ी.
सीमा महाविद्यालय में एनएसएस से जुड़कर परेड की तैयारी करने लगीं. यूनिवर्सिटी स्तर पर परेड के लिए सीमा का चयन हुआ. इसके बाद पटना इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 10 दिन का शिविर किया. तब जाकर दिल्ली के लिए चयन हुआ.