छत्तीसगढ़

करोड़ों खर्च कर खेतों की प्यास नहीं बुझा पाई खुटपाली व्यपवर्तन परियोजना

रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले में करीब 90 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी खुटपाली व्यपवर्तन परियोजना खेतों की प्यास नहीं बुझा पा रही.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यह परियोजना नौ साल में भी मूर्त रूप नहीं ले पाई है.

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कोटपाली ग्राम के पास कन्हर नदी में खुटपाली व्यपवर्तन परियोजना के तहत नहर बनाने का काम शुरू किया गया था.

कन्हर नदी से 72 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर सिंचाई के लिए पानी लाने की योजना थी. इस पानी से लगभग 16,778 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई करना था, लेकिन काम तकनीकी खामियों की भेंट चढ़ गया.

नहर का काम साल 2015 में शुरू किया गया. इसे 5 चरणों में पूरा किया जाना था. काम काफी जोर-शोर से शुरू हुआ, लेकिन निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया.

इसके कारण 2015 में पहली ही बारिश में निर्माणाधीन वियर और 450 मीटर लंबी नहर की दीवार टूट गई.

अधिकारियों ने मनमानी करते हुए बिना किसी विभागीय आदेश के वियर की ऊंचाई को 10.50 की जगह 8.85 मीटर कर दिया.

अधिकारी काम को आगे बढ़ाते रहे, लेकिन वे भूल गए कि नहर की टूटी दीवार की मरम्मत भी करानी है. इसकी जानकारी होने पर मामले ने काफी तूल पकड़ा था.

इस मामले में जल संसाधन विभाग के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे.

मामले में दो कार्यपालन अभियंता, दो अनुविभागीय अधिकारी व तीन उप अभियंताओं के खिलाफ जांच शुरु हुई.

फिर से विभागीय जांच की मांग

जांच रिपोर्ट की खामियों को उगागर करते हुए शासन के अहम गवाह सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता उमेशचंद्र सिंह ने राज्यपाल और जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी फिर से विभागीय जांच कराने की मांग की है.

उन्होंने अपनी शिकायत में तकनीकी खामियों सहित और कई तथ्यों का उल्लेख किया है.

उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त स्थान की जांच कई स्तर पर की गई थी, लेकिन जांच अधिकारी द्वारा जानबूझकर इन तथ्यों को शामिल नहीं किया गया. आरोपी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की गई थी. उसे भी नजर अंदाज किया गया.

जिसने काम कराया, उसे ही बना दिया जांच अधिकारी

इस व्यपवर्तन योजना में मुख्य अभियंता हसदेव गंगा कछार अंबिकापुर पर निर्माण की तकनीकी स्वीकृति, काम समय से पूर्व कराना, खर्चों में नियंत्रण, कार्य की उच्चगुणवत्ता आदि की जवाबदारी थी.

लेकिन उसी अधिकारी को जांच अधिकारी बना दिया गया.

जांच अधिकारी पर आरोप लगे कि उन्होंने शासकीय गवाहों से कोई बयान नहीं लिया. मजबूरी में एक गवाह ने लिखित में बयान प्रस्तुत किया. इसके बाद भी उस बयान पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया, जबकि भ्रष्टाचार सहित ड्राइंग में परिवर्तन सहित उन पर कई आरोप हैं.

क्षति का आंकलन अलग-अलग

बताया जा रहा है कि इस योजना में क्षति का आंकलन भी अलग-अलग हुआ है.

पहले आरोपी अधिकारी ने क्षति का आंकलन 14.72 लाख आंका था, वहीं मुख्य अभियंता की जांच में यह राशि बढ़कर 21.66 लाख हो गई.

विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त भाग की मरम्मत का प्राक्कलन शासन को भेजा गया तो राशि बढ़कर 1.27 करोड़ हो गई.

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