राष्ट्र

SC केन्द्र सरकार से खफ़ा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर केन्द्र सरकार के हील हवाले से सर्वोच्य न्यायालय नाराज़ है. गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद दिल्ली में न तो सरकार का गठन किया गया है और न ही चुनाव कराये गयें हैं. दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है तथा इसकी जिम्मदारी गृह मंत्रालय की है. सर्वोच्य न्यायालय का कहना है कि दिल्ली में सराकर का गठन सुनाई के पहले ही क्यों नीं कर लिया जाता है. उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर हो रही देरी पर मंगलवार को नाराजगी जताई. न्यायालय ने इस मामले में हो रही हीलाहवाली पर नाखुशी जताते हुए कहा कि सुनवाई की हर तारीख को सरकार गठन के संबंध में कोशिश किए जाने की बात कही जाती है. आखिर यह काम सुनवाई से पहले ही पूरा क्यों नहीं कर लिया जाता है? इससे पहले केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि राष्ट्रपति ने दिल्ली में सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भारतीय जनता पार्टी को आमंत्रित करने को लेकर उप-राज्यपाल नजीब जंग के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है.

न्यायालय हालांकि केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यामूर्ति एच.एल. दत्तु की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई.

पीठ ने कहा, जैसा कि एक पत्र सौंपा गया है और इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति ने उप-राज्यपाल के सुझाव से सहमति जताई कि दिल्ली में सरकार गठन के लिए विकल्प तलाश की जानी चाहिए. उप-राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने का सुझाव दिया है, लेकिन यदि भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है तो क्या वह इस स्थिति में है कि सरकार बना सके?

न्यायालय का यह सवाल दिल्ली विधानसभा में भाजपा की सदस्य संख्या को लेकर था. दिल्ली विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या इस वक्त 28 है. उसने दिसंबर 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन उसके तीन विधायक इस साल हुए संसदीय चुनाव में जीत गए, जिसके बाद विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या घटकर 28 हो गई है. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में सरकार गठन के लिए कम से कम 36 सीटों की आवश्यकता है.

इसके बाद न्यायालय ने आम आदमी पार्टी की उस याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी, जिसमें दिल्ली विधानसभा को भंग करने का अनुरोध किया गया है. आप का दावा है कि पर्याप्त संख्या बल के अभाव में सरकार गठन के लिए खरीद-फरोख्त हो सकती है. बहरहाल, अब राष्ट्रपति ने दिल्ली के उप-राज्यपाल को इस बात की मंजूरी दे दी है कि सबसे बड़ी पार्टी, भाजपा को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया जाये से, दिल्ली में सरकार बनने का मार्ग खुल गया है.

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