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चुनाव के चक्कर में सरबजीत पर हमला

लाहौर: पाकिस्तान में सरबजीत सिंह पर हमले को लेकर माना जा रहा है कि यह हमला चुनावी लाभ के लिये किया गया था. राजनीतिक गलियारे में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि सरबजीत सिंह जैसे हाईप्रोफाइल कैदी पर हमले के लिये हमलावर के पास ब्लेड, रॉड और ईंटें कहां से आईं? क्या इस हमले को पाकिस्तान सरकार के इशारे पर अंजाम दिया गया?

सरबजीत के वकील ओवैस शेख ने कहा है कि अफजल गुरु की फांसी के बाद सरबजीत को जान से मारने की धमकी मिली थी, और उन्होंने ये जानकारी जेल प्रशासन और पाकिस्तानी पंजाब के गृह मंत्रालय को दी थी. इसके बावजूद प्रशासन ने सरबजीत की सुरक्षा कड़ी करने की कोशिश नहीं की, लिहाजा, सरबजीत के हमले के पीछे गहरी साज़िश का शक गहरा गया है.

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार सरबजीत को रिहा नहीं कर रही थी. अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से उसे फांसी भी नहीं दे पा रही थी. लिहाजा उस पर हमले से चुनाव के दौरान कट्टरपंथी तत्वों का समर्थन हासिल करने की कोशिश हो सकती है.

पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने भी कहा कि पाकिस्तान के आगामी चुनावों में फायदा उठाने के लिए सरबजीत पर जानबूझ कर हमला करवाया गया तो कई संगीन सवाल खड़े होते हैं. बर्नी का कहना है कि जब तक इस मामले में पूरी जांच गंभीरता से नहीं होगी, तब तक इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं है.

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